
ग्वालियर, जीआर मेडिकल कॉलेज की वायरोलॉजी लैब में अब तक 30 हजार से अधिक जांच हो गई हैं। जिसमें से करीब 10 हजार नामों की आइसीएमआर पोर्टल पर एंट्री ही नहीं हुई है। इसलिए सैंपल देने वाले संदिग्ध रोगियों के पास मैसेज ही नहीं पहुंच सके हैं। वीडियो कांफ्रेंसिंग में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस पर कड़ी नाराजगी जताई है।

ग्वालियर के 10 हजार कोरोना संदिग्ध मरीज आइसीएमआर के पोर्टल से गायब
ग्वालियर में कोरोना मरीज बढ़ने के साथ ही कई लापरवाही भी सामने आने लगी हैं। दरअसल जिले में सैंपलिंग की संख्या तेजी से बढ़ गई है। अब जेएएच की कोल्ड ओपीडी, जिला अस्पताल मुरार के अलावा हजीरा, जनकगंज, डबरा सहित कई अन्य सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर भी कोरोना के सैंपल लिए जा रहे हैं। इसके अलावा शहर में पूल सैंपलिंग भी हो रही है। जबकि जांच केवल जीआर मेडिकल कॉलेज की वायरोलॉजी लैब, सीबीनेट मशीन, जिला अस्पताल में ट्रूनेट मशीन या डीआरडीई में ही हो रही है। सैंपलिंग की संख्या बढ़ते ही आईसीएमआर पोर्टल पर एंट्री होने में दिक्कतें आने लगी है। सूत्रों की माने तो करीब 10 हजार लोगों के नाम की पोर्टल पर एंट्री नहीं है। सोमवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वीडियो कांफ्रेंसिंग में नाराजगी जताई है। साथ ही काम में गंभीरता बरतने के निर्देश दिए हैं।
क्यों होती है पोर्टल पर एंट्री
आइसीएमआर के पोर्टल पर एंट्री के बाद सैंपल देने वाले की पूरी डिटेल दर्ज हो जाती है। जांच रिपोर्ट आते ही संबंधित के पास मैसेज पहुंच जाता है कि उसकी रिपोर्ट निगेटिव आई है या पॉजिटिव। एंट्री नहीं होने पर पॉजिटिव आने पर तो इंसीडेंट कमांडर का फोन पहुंच जाता है। इसके बाद एंबुलेंस से मरीज अस्पताल पहुंचा दिया जाता है। यदि रिपोर्ट निगेटिव आती है तो मरीज को पता ही नहीं चलता है। इससे मरीज हमेशा ही उलझन में रहता है कि उसके सैंपल की जांच हुई भी या नहीं।
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