
- पर्ची कटवाने के लिए 5 रुपए नहीं थे, अस्पताल में नहीं मिली जगह।
ज़िला अस्पताल की दहलीज पर एक मरीज़ ने इलाज न मिलने पर दम तोड़ दिया। वह अस्पताल के गेट पर पड़ा रात भर तड़पता रहा, लेकिन स्टाफ ने उसे भर्ती नहीं किया। सिर्फ इसलिए कि उसके पास अस्पताल की पर्ची कटवाने के लिए 5 रुपए नहीं थे। गुना वो ज़िला है जहां से कांग्रेस और बीजेपी के दिग्विजय सिंह और ज्योरादित्य सिंधिया जैसे दिग्गज नेता आते हैं।
अशोक नगर का सुनील धाकड़ अब नहीं रहा। उसे टीबी हो गया था। सुनील बेहद गरीब परिवार से था। इतना की इलाज के लिए पैसे तो दूर की बात, अस्पताल की पर्ची कटवाने के लिए 5 रुपए तक उसके पास नहीं थे। सुनील को उसकी पत्नी गुरुवार को गुना ज़िला अस्पताल लेकर पहुंची। साथ में ढाई साल का बच्चा भी था। पत्नी इस उम्मीद में अपने पति को लेकर आयी थी कि यहां से सुनील स्वस्थ होकर लौटेगा, लेकिन अब लौटी तो पति की लाश के साथ।

कमलनाथ ने सरकार पर उठाया सवाल
पूर्व सीएम कमलनाथ ने व्यवस्था पर सवाल उठाया है. अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा-क्या हालत हो गयी प्रदेश की? हमने तो ऐसा प्रदेश नहीं सौंपा था?
गेट पर तोड़ा दम
पति-पत्नी और मासूम बच्चा यहां पहुंचे तो सरकारी नियम के मुताबिक उनसे अस्पताल की पर्ची कटवाने के लिए कहा गया। पर्ची के लिए 5 रुपए चाहिए थे। बताया जा रहा है कि सुनील के पास इतने पैसे भी नहीं थे। लिहाज़ा पत्नी अस्पताल वालों के सामने गिड़गिड़ाती रही लेकिन स्टाफ ने सुनील को भर्ती नहीं किया। अकेली महिला एक छोटे बच्चे और मरणासन्न पति को लेकर रात भर अस्पताल के बाहर पड़ी रही। इस उम्मीद में कि शायद सुबह किसी को तरस आ जाए। लेकिन सुबह तक मौत ने इंतज़ार नहीं किया। सुनील ने वहीं अस्पताल के गेट पर दम तोड़ दिया।
अब कार्रवाई की बात
इस मामले में सिविल सर्जन डॉक्टर एस के श्रीवास्तव का कहना है कि सुनील धाकड़ नशे का आदि था जो अक्सर जिला अस्पताल के बाहर बैठा रहता था। इस मामले में इलाज उपलब्ध नहीं कराने पर सिविल सर्जन चुप्पी साध गए। अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही पर कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने नाराजगी जाहिर करते हुए तत्काल रिपोर्ट तलब की है। कलेक्टर ने दोषियों पर कार्रवाई के निर्देश भी दे दिए हैं। इस मामले में ग्वालियर संभाग के कमिश्नर एम बी ओझा ने भी दुःख जताते हुए उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
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