
- शिवसेना के मुखपत्र सामना के लिए राज्यसभा सांसद संजय राउत को दिया सीएम ठाकरे ने इंटरव्यू।
- मुख्यमंत्री बनने के बाद किसी भी मीडिया संस्थान को दिया गया सीएम ठाकरे का यह पहला इंटरव्यू है।
- लॉकडाउन खोलने पर मौत की जिम्मेदारी किसकी?
महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 3.50 लाख मरीजों के पार पहुंच गया है। 13 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इस बीच, शनिवार को शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का एक इंटरव्यू प्रकाशित हुआ। राज्यसभा सांसद संजय राउत को दिए इस इंटरव्यू में सीएम ठाकरे ने कोरोना, इससे निपटने के प्रयासों, सरकार के 6 महीने के कार्यकाल और विपक्ष से जुड़े सवालों का जवाब दिया। मुख्यमंत्री बनने के बाद किसी भी मीडिया संस्थान को दिया गया सीएम ठाकरे का यह पहला इंटरव्यू है।

उद्धव ने कहा, “लॉकडाउन हटा दो, ये खोल दो और वो खोल दो’ ऐसा कहने वाले लोग जिंदा लोगों की जिम्मेदारी लेंगे क्या? मैं ट्रम्प नहीं हूं। मैं मेरी आंखों के सामने लोगों को ऐसे तड़पते हुए नहीं देख सकता हूं। बिल्कुल नहीं। इसलिए एक बात तय करो। लॉकडाउन गया खड्डे में। जान गई तो भी बढ़िया, लेकिन हमें लॉकडाउन नहीं चाहिए। तय करते हो क्या बोलो!”
मुख्यमंत्री ने कहा, ”मेरा उनसे यही कहना है कि हम आपके लिए लॉकडाउन खोल देते हैं। फिर यहां लोग मरेंगे तो आप जिम्मेदारी लेंगे क्या? आज जो दरवाजा खोलो कहकर सरकार के दर पर आकर बैठे हैं, आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं उनके लिए दरवाजे खोलने में कोई हर्ज नहीं, लेकिन दरवाजा खुलने के बाद आप जिम्मेदारी लेंगे क्या? अर्थव्यवस्था के संकट की चिंता हमें भी है।”
सीएम बोले, ”जल्दबाजी में, गड़बड़ी में तुम्हें निर्णय लेना है? लेकिन, याद रखो परिवार के परिवार बीमार पड़ रहे हैं और मौत के मुंह में समा रहे हैं। फिर परिवार के मौत के मुंह में समाने के बाद घरों में जो ताले लगेंगे, उस लॉकडाउन को कौन खोलेगा? घरों में जो लॉकडाउन होगा उसका क्या? पूरा परिवार यदि चला गया तो उस घर का ताला कौन खोलेगा? इसलिए वह ताला नहीं चाहिए होगा तो इन बातों को टालो।”
राम मंदिर से कोरोना नहीं ठीक होगा
सीएम ने कहा, ”अयोध्या में राम मंदिर बन रहा है। कोरोना की चिंता उससे ज्यादा है। मंदिर के जरिए कोरोना ठीक नहीं होगा, ऐसा शरद पवार बोले हैं। उत्तर सही है। हम जो सुविधा तैयार कर रहे हैं, वह बीमारों की ठीक नहीं करेगी। इन सुविधाओं के साथ डॉक्टर्स चाहिए। मैंने पहले ही कहा था कि जंबो फैसिलिटी चाहिए। बेड पर जब मरीज आएंगे, तब उनके बगल में डॉक्टर्स एवं सिस्टर्स चाहिए और हाथ में दवाइयां चाहिए।”
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