
- मोदी ने कहा- ये मेरा सौभाग्य है कि राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने मुझे बुलाया और मुझे इस ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने का अवसर दिया।
- ‘बरसों टेंट के नीचे रहे रामलला के लिए भव्य मंदिर बनेगा, टूटना और फिर उठ खड़ा होना सदियों से चल रहे इस क्रम से राम जन्मभूमि आज मुक्त हुई।’
राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन के बाद सबसे ज्यादा इंतजार जिस बात का लोगों को था, वह था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण। मोदी ने ऐतिहासिक मौके पर ऐतिहासिक भाषण दिया। 35 मिनट के इस भाषण की शुरुआत सियावर राम चंद्र की जय के साथ की और खत्म भी सियापति रामचंद्र की जय के साथ किया। कहा- राम सबके हैं, राम सबमें हैं। कोरोना काल में राम की मर्यादा का महत्व बताया। मोदी ने राम की रीति बताई कि बिना भेदभाव के सभी के विश्वास से विकास करना है। तो, भय बिनु होय ना प्रीति से राम की नीति बताई। कहा- भारत जितना ताकतवर होगा प्रीति उतनी ज्यादा बढ़ेगी।
मोदी ने क्या कहा भाषण में
रामकाज किन्हें बिनु, मोहि कहां विश्राम यानी सदियों का संकल्प पूरा हुआ
आना स्वाभाविक था, क्योंकि राम काज किन्हें बिनु मोहि कहां विश्राम। सोमनाथ से काशी विश्वनाथ, बोधगया से सारनाथ, कन्याकुमारी से कश्मीर, अमृतसर से पटना साहिब, लक्षद्वीप से लेह तक पूरा भारत राम मय है। पूरा देश रोमांचित है, हर मन दीपमय है। आज पूरा भारत भावुक है। सदियों का इंतजार समाप्त हो रहा है। करोड़ों लोगों को आज ये विश्वास ही नहीं हो रहा होगा कि वो अपने जीते जी इस पावन दिन को देख पा रहे हैं।
आजादी के आंदोलन की तरह मंदिर आंदोलन तप, त्याग और संकल्प का प्रतीक
आजादी की लड़ाई में कई पीढ़ियों ने अपना सबकुछ समर्पित कर दिया। गुलामी के कालखंड में कोई ऐसा समय नहीं था, जब आजादी के लिए आंदोलन न चला हो। देश का कोई भूभाग ऐसा नहीं था, जहां आजादी के लिए बलिदान न दिया गया हो। 15 अगस्त का दिन उस अथाह तप का, लाखों बलिदानों का प्रतीक है। ठीक उसी तरह राम मंदिर के लिए कई-कई सदियों तक, कई-कई पीढ़ियों ने अखंड और अविरल एकनिष्ठ प्रयास किया। आज का दिन उसी तप, त्याग और संकल्प का प्रतीक है।

श्रीराम का मंदिर आधुनिकता का प्रतीक बनेगा, यानी अयोध्या का अर्थतंत्र बदलेगा
श्रीराम का मंदिर हमारी संस्कृति का आधुनिक प्रतीक बनेगा। जानबूझकर आधुनिक शब्द का प्रयोग कर रहा हूं। हमारी शाश्वत आत्मा और राष्ट्रीय भावना का प्रतीक बनेगा। ये मंदिर करोड़ों लोगों की सामूहिक संकल्प शक्ति का प्रतीक रहेगा। आने वाली पीढ़ियों को आस्था, श्रद्धा और संकल्प की प्रेरणा यह मंदिर देता रहेगा।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी देश ने राम जैसी मर्यादा दिखाई यानी शांति बनाए रखी
कोरोना से बनी स्थितियों के कारण भूमि पूजन का कार्यक्रम मर्यादाओं के बीच हो रहा है। श्रीराम के कार्यक्रम में मर्यादा का जैसा प्रस्तुत करना चाहिए, देश ने वैसा ही उदाहरण प्रस्तुत किया है। इसी मर्यादा का पालन हमने तब भी किया था, जब सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया था।
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