बालाघाट जिले में लोगों ने परंपरागत तरीके से नारबोद मनाया, रजेगांव के युवाओं ने महाराष्ट्र के गोंदिया जिले की सीमा में ले जाकर जलाया मारबत का पुतला जलाया। घेऊंन जा री नारबोद… कोरोना ले जा री नारबोद… के नारे के साथ इस बार लोग कोरोना के संक्रमण को गांव-बस्ती और जिले की सीमा से बाहर करने मारबत(पूतना) का पुतला जलाया गया।
पोला पर्व के दूसरे दिन जिले में नारबोद खास परंपरा के साथ मनाया जाता है। महाराष्ट्र के विदर्भ से लगे बालाघाट जिले में यह त्योहार कई पीढ़ियों से लोग मिनी होली के रूप में मना रहे हैं। इस दिन परंपरा अनुसार मारबत(पूतना) का पुतला बनाया जाता है। जिसे गांव-बस्ती की सीमा से बाहर ले जाकर जलाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस पुतले को गांव से बाहर ले जाते समय लोग अपनी समस्याओं और बुराईयों के साथ बीमारियों को भी गांव की सीमा से बाहर खदेड़ते हैं।
बालाघाट जिला महाराष्ट्र अंचल से लगा हुआ है, जिसके चलते विदर्भ की संस्कृति का यह त्योहार जिले में मिनी होली के रूप में मनाया जाता है। वैसे तो इस दिन दान की भी परंपरा है, लेकिन यह महज उमंग और उत्साह का ही नहीं बल्कि मस्ती और हुड़दंग का त्योहार भी है। इस दिन जहां लोग रिश्तेदारों के घर जाकर तरह-तरह से मेहनमान नवाजी करते कराते हैं। वहीं दूसरी तरफ नारबोद में जहां-तहां विवाद भी सबसे अधिक होते हैं। जिसके चलते इसे मिनी होली भी कहा जाता है।
इस बार नारबोद की तैयारी फीकी,पर त्योहार मनाएंगे लोग
प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी बालाघाट में मारबत का पुतला बनेगा,लेकिन ज्यादा भीड़ नजर नहीं आएगी। घेऊंन जा री नारबोद… कोरोना संग…खांसी खोखला ले जा री नारबोद… महंगाई डायन खा जा री नारबोद… गांव से बीमारी ले जा री नारबोद…पर सांकेतिक टिप्पणी के साथ हंस मत पगली प्यार हो जाएगा, जैसे तुकबंदी के बोल बोलते हुए गली-गली मारबत का पुतला निकालकर लोग गांव व शहर की सीमा से बाहर ले जाकर जलाएंगे।
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