
- राघवेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गुप्ता के 20 ठिकानों पर मारे छापे।
- अब तक 1 करोड़ रुपए की नगदी और 100 बेहिसाब प्रॉपर्टी मिली है।
आयकर विभाग ने कोरोना संक्रमण के बाद पहली बड़ी कार्रवाई करते हुए सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया के करीबी माने जाने वाले हाईप्रोफाइल रियल एस्टेट डेवलपर राघवेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गुप्ता चूड़ीवाला के 20 ठिकानों पर छापे मारे। इस कार्रवाई में अब तक 1 करोड़ रुपए की नगदी और 100 बेहिसाब प्रॉपर्टी मिली है। इन प्रापर्टी का मूल्यांकन 200 करोड़ रुपए आंका गया है। इसके साथ ही भारी मात्रा में दस्तावेज बरामद हुए हैं।
विभाग की एक विशेष टीम केवल प्रॉपर्टी के मूल्यांकन का काम कर रही है। छापे की जद में आए दूसरे रियल एस्टेट कारोबारी पीयूष गुप्ता का पुश्तैनी कारोबार चूड़ियों का था। चौक में उनके परिवार की दुकानें हैं। लेकिन पिछले चार से पांच सालों में गुप्ता प्रॉपर्टी के कारोबार में आ गया था।
चूड़ीवाला के नाम पर भी कई बेनामी संपत्तियों का पता चला है। उनके और उनके परिवार की 18 कंपनियों में भागीदारी है। छापे का केंद्र राघवेंद्र की रातीबड़ स्थित क्रिकेट एकेडमी बन गई है। वह यहां पर राष्ट्रीय स्तर की सर्वसुविधा युक्त क्रिकेट एकेडमी बनाने जा रहा था। लेकिन कोरोना के कारण इस साल पहली बैच के एडमिशन नहीं हो पाए।
राघवेंद्र ने अपने रिटर्न में इस एकेडमी के लिए जुटाए गए धन का स्रोत ठीक से नहीं बताया था। बताया जा रहा है राघवेंद्र के खिलाफ ईडी में शिकायत की गई थी। उसके आधार पर आयकर विभाग ने यह रेड की है।
अफसरों और नेताओं की 100 करोड़ रुपए से ज्यादा की बेनामी संपत्ति का हो सकता है खुलासा
राघवेंद्र सिंह तोमर कई राजनेताओं और बड़े अफसरों की गठजोड़ का केंद्र माने जाते हैं। बताया जाता है कि इन्होंने राघवेंद्र सिंह के कारोबार में काफी पैसा लगाया हुआ है। छापे में इन नेताओं और अफसरों की 100 करोड़ से ज्यादा की बेनामी संपत्ति का खुलासा हो सकता है। राघवेंद्र सिंह होशंगाबाद एसपी संतोष सिंह गौर के साले हैं। चर्चा है कि कुछ माह पहले एक मौजूदा स्पेशल डीजी से 1.50 करोड़ रुपए के लेन-देन को लेकर उनका तगड़ा विवाद हुआ था। राघवेंद्र सिंह ने इसकी शिकायत पुलिस के कई अफसरों से की थी।
राघवेंद्र सिंह के प्रोजेक्ट में एक जांच एजेंसी के अफसर के भी फ्लैट हैं। कमलनाथ सरकार गिराने के दौरान भी राघवेंद्र सिंह का नाम काफी चर्चा में आया था। आरोप यह भी लगे थे कि विधायकों पर उसने काफी पैसा खर्च किया था। व्यापमं घोटाले में भी राघवेंद्र सिंह का नाम उछला था। बाद में उसे सरकारी गवाह बना दिया गया था। राघवेंद्र सिंह के कारोबार में एक मंत्री के भतीजे की साझेदारी होने की भी बात सामने आई है।
राघवेंद्र सिंह के पिता भी दबंग छवि वाले आईपीएस अफसर थे। वे एक मात्र ऐसे अफसर थे दो महत्वपूर्ण पदों पर थे। अर्जुन सिंह के पंजाब के राज्यपाल रहने के दौरान वे उनके एडीसी (राज्यपाल के परिसहायक) थे, साथ ही सीधी के एसपी भी थे। बताया तो यह भी जा रहा है कि हाल ही में मप्र से दिल्ली गए एक सीनियर आईपीएस अफसर का भी फ्लैट राघवेंद्र सिंह की बिल्डिंग में हैं। सूत्रों का कहना है कि छापे के दौरान मंत्री भदौरिया वहां देखे गए थे। वहीं होशंगाबाद एसपी गौर भी वहां अपनी गाड़ी से पहुंच गए थे।
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