छतरपुर बीजेपी में बग़ावत के सुर शुरू हो गए हैं। इस राजनीतिक बग़ावत का कारण
कांग्रेस का दामन छोड़कर भाजपा में शामिल हुए प्रदुम्न सिंह लोधी हैं। कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त लोधी का नए घर यानि बीजेपी में विरोध शुरू हो चुका है। भाजपा की दो महिला नेत्रियों ने पार्टी के ख़िलाफ़ विरोध का बिगुल बजाने का निर्णय ले लिया है। इससे भाजपा में चल रही अंदरूनी खिंचातान तो सार्वजनिक हो ही रही है। कांग्रेस से भाजपा में गए लोधी की मुश्किलें भी बढ़ती नज़र आ रही हैं।
छतरपुर की राजनीति में कुछ माह पहले से विद्रोह के स्वर उठने लगे थे जब प्रदुम्न सिंह लोधी कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हो गए । बीजेपी में आते ही उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा और खाद्य आपूर्ति निगम का अध्यक्ष बना दिया गया।
छतरपुर जिले की भाजपा में विद्रोह की आग भड़क उठी है। प्रदुम्न सिंह लोधी कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हो गए। लोधी बीजेपी में शामिल होने के बाद कैबिनेट मंत्री का दर्जा और खाद्य आपूर्ति निगम का अध्यक्ष बन जब जनता के बीच पहुँचे तभी उन्हें वापस जाओ के नारे और काले झंडे दिखाकर जनता ने स्वागत किया था ।
यह मामला ठंडा भी नहीं हुआ और अब विरोध बड़ामलहरा विधानसभा क्षेत्र से ही शुरू हो गया है। यहाँ कांग्रेस प्रत्याशी रहे लोधी ने भाजपा की उम्मीदवार और पूर्व मंत्री ललित यादव को चुनाव हराया था। यादव ने सबसे पहले लोधी के विरोध का बिगुल बजाया। इससे बीजेपी को छतरपुर में नुक़सान होना तय है।
यहाँ जातिगत समीकरण भी चुनाव पर असर डाल रहे हैं। वहीं लंबे समय से बीजेपी के निष्ठावान रहे लोग बाहरी व्यक्ति से असहज भी है। विरोध पहले आंतरिक था अब सार्वजनिक हो चुका है। खुले तौर पर विरोध होने लगा है।
पूर्व विधायक विरोध जा सकते हैं कांग्रेस में
भाजपा की पूर्व विधायक रेखा यादव ने भी पार्टी से बगावत का ऐलान कर दिया है। रेखा यादव दो बार विधायक रह चुकी हैं। इस बार वे बड़ामलहरा से टिकट चाहती हैं। लेकिन उपेक्षा के चलते कभी भी कांग्रेस का दामन थाम सकती हैं। रेखा यादव मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष से मुलाकात के बाद खुश नही हैं। यदि यह भाजपा का दामन छोड़ती हैं तो भाजपा के लिए उपचुनावों के बीच बड़ा झटका लगेगा।
यादव बाहुल्य है सीट नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते
बड़ामलहरा विधानसभा सीट यादव बाहुल्य सीट है। इसलिए यादवों की नाराजगी भाजपा को भारी पड़ सकती है। पूर्व विधायक रेखा यादव पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती की खास रही हैं। उमा की जनशक्ति पार्टी से यह विधायकभी रह चुकी हैं। इस क्षेत्र में सघन जन सम्पर्क और सीधे साधे स्वभाव के चलते जनता के बीच पकड़ बरकरार है।
दरअसल,रेखा का कांग्रेस से पुराना नाता है। इनकी ननद उमा यादव भी कांग्रेस से बड़ामलहरा क्षेत्र से विधायक रह चुकी हैं। इसलिए यदि वे कांग्रेस में जाती हैं,तो हैरानी की बात नही होगी। वहीं कांग्रेस यदि रेखा यादव को बड़ामलहरा से उम्मीदवार बनाती है तो भाजपा को सीट बचाना मुश्किल होगा।
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