कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने टाइम मैगजीन की एक रिपोर्ट को लेकर मोदी सरकार पर हमला बोला है। राहुल ने ट्वीट कर कहा “टाइम ने वॉट्सऐप और भाजपा की साठगांठ का खुलासा किया है। 40 करोड़ भारतीय यूजर वाला वॉट्सऐप पेमेंट सर्विस भी शुरू करना चाहता है, इसके लिए मोदी सरकार की मंजूरी जरूरी है। इस तरह वॉट्सऐप पर भाजपा के नियंत्रण का पता चलता है।” टाइम की रिपोर्ट में कहा गया है कि फेसबुक भाजपा नेताओं के मामलों में भेदभाव करती है। वॉट्सऐप भी फेसबुक की कंपनी है।
टाइम की रिपोर्ट में क्या?
‘फेसबुक के भारत की सत्ताधारी पार्टी से संबंधों की वजह से हेट स्पीच के खिलाफ कंपनी की लड़ाई मुश्किल हो रही है।’ इस टाइटल से पब्लिश रिपोर्ट में कहा गया है कि फेसबुक हेट स्पीच से जुड़े बयानों को हटाने में भेदभाव करती है। टाइम ने लिखा है, “फेसबुक की कर्मचारी अलाफिया जोयब जुलाई 2019 में कंपनी के भारतीय स्टाफ से वीडियो कॉल के जरिए उन 180 पोस्ट पर चर्चा कर रही थीं, जिनमें हेट स्पीच से जुड़े नियमों की अनदेखी की गई। वॉचडॉग ग्रुप आवाज ने इन पोस्ट पर आपत्ति दर्ज करवाई थी। फेसबुक के सबसे सीनियर अफसर शिवनाथ ठुकराल पूरी बात सुने बिना ही मीटिंग छोड़कर चले गए थे।”
“जिन पोस्ट पर बात हो रही थी, उनमें असम से मोदी की पार्टी के नेता शिलादित्य देव की पोस्ट भी शामिल थी। शिलादित्य ने एक न्यूज रिपोर्ट शेयर की थी, जिसमें मुस्लिम लड़के पर रेप का आरोप था। शिलादित्य ने कमेंट किया था कि बांग्लादेश के मुस्लिम हमारे लोगों को टार्गेट कर रहे हैं। इस पोस्ट पर आपत्ति दर्ज होने के बाद भी फेसबुक ने इसे एक साल से ज्यादा समय तक नहीं हटाया।”
“ठुकराल उस वक्त भारत और दक्षिण एशिया में फेसबुक पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर थे। भारत सरकार से लॉबीइंग करना ही उनका काम था। फेसबुक के कुछ पूर्व कर्मचारियों ने बताया कि ठुकराल इस बात पर भी चर्चा करते थे कि किसी पॉलिटिशियन की पोस्ट हेट स्पीच के दायरे में आए तो, उससे कैसे निपटा जाए।”
फेसबुक ने गलती मानी
टाइम का कहना है कि उसने 21 अगस्त को फेसबुक से बात की थी। फेसबुक ने कहा, “आवाज ने जब पहली बार मुद्दा उठाया तो हमने जांच की थी और इस बयान को हेट स्पीच माना था। शुरुआती रिव्यू के बाद हम इसे हटा नहीं पाए, यह हमारी गलती थी।”
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने भी फेसबुक पर भाजपा के कंट्रोल की बात कही थी
टाइम से पहले अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल ने भी 14 अगस्त को पब्लिश किए आर्टिकल में कहा था “फेसबुक कुछ भाजपा नेताओं पर हेट स्पीच के नियम लागू नहीं करती।” इस पर फेसबुक ने सफाई दी थी कि वह बिना किसी राजनीतिक भेदभाव के पॉलिसी लागू करती है। किसी व्यक्ति के पॉलिटिकल पार्टी से जुड़े होने से नीतियों पर फर्क नहीं पड़ता।
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