मध्य प्रदेश के सतना जिले में दशकों से पानी की एक-एक बूंद को तरसने वाले आदिवासियों और उनके बच्चों ने आत्मनिर्भर बनने की शानदार मिसाल पेश की है। जब प्रशासन से गुहार लगाते-लगाते वे थक गए तो खुद ही बांध बना दिया। व्यवस्था को ठेंगा दिखाने वाले उनके इस जज्बे को देखकर शासन प्रशासन भी एक बार सर झुका लेगा और उन्हें सलाम ठोकेगा।
यहां के आदिवासी मासूम बच्चों ने अपने माता-पिता के साथ मिलकर एक ऐसे बांध का निर्माण किया है, जिसमें ठहरा पानी क्षेत्र के हजारों आदिवासियों और लाखों जंगली जानवर की प्यास बुझाएगा। इतना ही नहीं, इस पानी से रबी की फसल की पूरी खेती भी हो सकेगी।
वर्षों से इस क्षेत्र में पानी की समस्या कुछ ऐसी थी की पूरा गांव पलायन कर जाता था। शासन प्रशासन से मांग कर थक-हार चुके इन आदिवासी ग्रामीणों ने बारिस के पानी को रोकने के लिए न सिर्फ बांध का सपना देखा, बल्कि कड़ी मेहनत करके उसे बना भी डाला। यह बांध अब उनके यथार्थ और सजग निर्माण की कहानी बयां कर रहा है।
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