
- व्यवस्था बदली: भोपाल में निजी अस्पताल, नर्सिंग होम भी करेंगे जांच, बना सकेंगे कोविड वार्ड।
- 242 नए केस, इनमें जिला कोर्ट के दो मजिस्ट्रेट, 8 मौतें इनमें 3 भोपाल के
सरकार ने कोरोना की घर-घर जाकर जांच बंद कर दी है, लेकिन यह स्पष्ट किया है कि अब जो व्यक्ति फीवर क्लीनिक या कोविड के लिए अधिकृत हॉस्पिटल में सैंपल देकर टेस्ट कराना चाहेगा, उसे शुल्क नहीं देना होगा। इसे लेकर भ्रम की स्थिति थी, जिसे मंगलवार को कैबिनेट बैठक के बाद गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि टेस्ट अभी भी फ्री है।
केंद्र की आयुष्मान योजना के तहत जिन अस्पतालों में इलाज हो रहा है, वहां पैसा नहीं लगेगा। जहां आयुष्मान लागू नहीं है, तो वहां मरीजों को बिल दिया जाएगा। वह स्वेच्छा से जितना देना चाहे दे सकेगा। वहीं राजधानी में अब निजी अस्पताल और नर्सिंग होम कोरोना का इलाज कर सकेंगे। संबंधित मरीज को स्वयं के व्यय पर इलाज करवाना होगा। कलेक्टर अविनाश लवानिया ने कहा कि निजी अस्पताल कोरोना वार्ड बना सकते हैं। उन्हें कोविड-19 में जारी गाइडलाइन का पालन करना अनिवार्य होगा।
एक दिन में 8 मरीजों की मौत, दो मजिस्ट्रेट पॉजिटिव
राजधानी में मंगलवार को अलग-अलग कोविड हॉस्पिटल्स में 8 मरीजों की मौत हुई, इनमें तीन भोपाल के थे। मृतकों में विदिशा का एक 14 माह का बच्चा भी शामिल है। जबकि नए संक्रमितों में जिला अदालत के दो मजिस्ट्रेट, दो कर्मचारी और स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के दो कर्मचारी शामिल हैं। इन 242 नए संक्रमितों में से 200 कोविड अस्पतालों व केयर सेंटरों में भर्ती हैं, जबकि 42 होम आइसोलेशन में।
प्रदेश में दो माह में आठ गुना बढ़ गए एक्टिव केस.
लगातार दूसरे दिन 1800 से ज्यादा (1864) नए केस मिले। एक जुलाई को 2625 एक्टिव केस थे, जो अब आठ गुना बढ़कर 17205 हो गए हैं। इनमें चार हजार मरीज इंदौर में हैं। मंगलवार को कुल 22 हजार 597 सैंपल जांचे गए ।
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