दिग्विजय सिंह का कद कांग्रेस की सियासत में एक बार फिर से बढ़ गया है। जबकि प्रदेश के किसी दूसरे नेता को इसमें शामिल नहीं किया गया है। मध्यप्रदेश में 15 साल बाद मिली सत्ता को महज 15 महीने में गंवाने के बावजूद कांग्रेस की सेंट्रल वर्किग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) में प्रदेश के नेताओं को जहब नही मिली है। पार्टी ने शुक्रवार को नई कमेटी में मध्यप्रदेश से केवल दिग्विजय सिंह को स्थाई सदस्य बनाया है।
पार्टी ने अपनी पिछली वर्किग कमेटी में शामिल अरुण यादव को बाहर कर दिया है। जबकि प्रदेश के पिछले सियासी घटनाक्रम को देखते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को उम्मीद थी थी इस बार प्रदेश के ज्यादा चेहरों को मौका मिलेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हालांकि प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते कमलनाथ इस कमेटी में शामिल हैं। वजह य है कि हर बार प्रदेश अध्यक्ष बिना किसी उल्लेख ने पार्टी के वर्किग कमेटी में शामिल होता है। जिसे प्रदेश से जुड़ी तमाम बैठकों में बुलाया जाता है। वहीं, मध्यप्रदेश का प्रभार पार्टी महासचिव मुकुल वासनिक के पास ही रहेगा।
मध्यप्रदेश में उपचुनाव महत्वपूर्ण
जहां सत्ता बीच में गंवाई वहां ज्यादा ध्यान देने की जरूरत थी। दूसरे राज्यों की नजरें भी यहां के घटनाक्रम पर हैं। दिग्विजय और कमलनाथ के राष्ट्रीय कद के कारण यहां से राष्ट्रीय सियासत पर भी असर होगा।
कांग्रेस को फिर से खड़ा करने का मौका
ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद यहां कांग्रेस को फिर से खड़ा करने का मौका है। सिंधिया के काग्रेस छोड़ने के बाद कई क्षेत्रों में कांग्रेस के पास बड़े चेहरों का आभाव है। इन क्षेत्रों में सिंधिया फैक्टर अब भी हावी है।
मध्यप्रदेश में 27 सीटों पर उपचुनाव
मध्यप्रदेश की 27 सीटों पर उपचुनाव होना है। अगर कांग्रेस ज्यादा सीटें जीतकर सत्ता में वापसी करती है तो भाजपा का समीकरण बिगड़ सकता है। ऐसे में मध्यप्रदेश से ज्यादा उम्मीदें थी लेकिन यहां से केवल दिग्विजय सिंह को ही मौका दिया गया है।
More Stories
EVM के विरोध में दिल्ली में दिग्विजय हिरासत में
Aaj bhi sadme me harda blast ke pidit
Narmadapuram me vikshipt nabalik ke rape se akrosh