- पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सत्र को लेकर अपनी चिंता जता चुके हैं।
- तीन दिन में जरूरी काम और बिल पास कराने पर रहेगा जोर।
मध्य प्रदेश में विधानसभा उपचुनावों की सरगर्मी के बीच 21 सितंबर से विधानसभा सत्र शुरू होने जा रहा है। इस बार कोरोना के कारण मुख्यमंत्री से लेकर विधायकों के बैठने की व्यवस्था तक में बदलाव किया जाएगा। मौजूदा स्थिति कोविड-19 के प्रोटोकाॅल के अनुसार, सिर्फ 108 विधायक ही बैठ सकते हैं। इसे ही देखते हुए सर्वदलीय बैठक हो रही है। हो सकता है कि पहली बार प्रश्नकाल को भी स्थगित किया जाए। मंगलवार सुबह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा से मुलाकात की।
गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि विधानसभा से पहले सर्वदलीय बैठक बुलाई जाती है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, नेता प्रतिपक्ष समेत सभी दलों के लोग होते हैं। इसी दौरान स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का चुनाव भी किया जाएगा। सत्र में सिटिंग अरेंजमेंट और प्रश्नकाल के होने या नहीं होने पर चर्चा की जाएगी। कोरोना के कारण सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखना जरूरी है, लेकिन जनता से जुड़े कामों को भी करना है।
ऐसे में विधानसभा सत्र होना आवश्यक है। इसमें जनता से जुड़े कार्य किए जाएंगे। जो भी जरूरी होगा उसका ध्यान रखा जाएगा।
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ चिंता जाहिर कर चुके हैं
मध्यप्रदेश विधानसभा सत्र से पहले पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पिछले गुरुवार को अचानक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलने सीएम हाउस पहुंचे थे। दोनों नेताओं के बीच विधानसभा सत्र के दौरान पेश किए जाने वाले विधेयकों को लेकर चर्चा हुई। इसके अलावा, सीएम शिवराज और कमलनाथ के बीच उन विषयों को लेकर भी बातचीत हुई, जिनकी चर्चा विधानसभा सत्र के दौरान होने वाली है। मध्य प्रदेश विधानसभा का सत्र 21 सितंबर से शुरू होने जा रहा है। यह सत्र तीन दिन का होगा, जो 23 सितंबर तक चलेगा। उन्होंने सत्र को लेकर चिंताएं भी व्यक्त की थीं।
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