मध्यप्रदेश कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने प्रवासी श्रमिकों की मौत के मामले में केंद्र और राज्य की बीजेपी सरकारों को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है कि ‘कोरोना महामारी में लॉकडाउन के चलते अपना रोज़गार छिन जाने के कारण भूखे-प्यासे घर लौट रहे प्रवासी मज़दूरों की बड़ी संख्या में अलग-अलग सड़क हादसों में मृत्यु हुई थी और लॉकडाउन के कारण उनका रोज़गार भी छिन गया। बस केन्द्र की बीजेपी सरकार यह सच्चाई नहीं जानती।‘
कांग्रेस नेता कमल नाथ ने प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पर कटाक्ष किया कि ‘मुख्यमंत्री शिवराज जी भी उस समय ज़ोर-ज़ोर से कहते थे कि आ जाओ देख लो, प्रदेश की सड़कों पर कोई भूखा-प्यासा मज़दूर नंगे पैर, पैदल चलता हुआ आपको नहीं दिखेगा। कमलनाथ ने कहा कि जबकि स्थिति इसके विपरीत थी। प्रदेश की सड़कों पर हज़ारों प्रवासी मज़दूरों को भूखे- प्यासे, नंगे पैर, पैदल चलते दिखाई देते थे। उन्होंने कहा कि बीजेपी के लोगों को सच्चाई नजर नहीं आती है।
दरअसल संसद सत्र के पहले दिन सांसदों ने 230 अतारांकित प्रश्न पूछे थे। जिनमें से 31 प्रश्न श्रम एवं रोजगार मंत्रालय से जुड़े हुए थे। सांसदों ने सदन से जानकारी चाही थी कि कोरोना काल में कितने मजदूरों के रोजगार छिने, प्रवासी मजदूरों के घर वापसी के दौरान मौत हुए। कितने लोगों को कोरना की वजह से बेरोजगारी होना पड़ा। वहीं सांसदों ने यह भी पूछा है कि कोरोना लॉकडाउन के कारण कितने प्रवासी मजदूर अपने घर लौटते हुए हादसों का शिकार हुए हैं। हर राज्य में इन मजदूरों की कितनी संख्या है। जिसे लेकर केंद्र सरकार ने जवाब दिया है कि ऐसे किसी आंकड़े का रिकॉर्ड नहीं रखा जाता है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एनजीओ सेव लाइफ फाउंडेशन के दावा किया है कि कोरोना काल में 24 मार्च से 2 जून के बीच हुए विभिन्न हादसों में 198 मजदूरों की मौत हुई थी। इसके मुताबिक 3 बड़े हादसों में 48 मजदूर मारे गए थे। वहीं 16 मई को उत्तर प्रदेश के औरेया में ट्रक हादसे में 24 मजदूरों की मौत हो गई थी। सर्वे के अनुसार 14 मई को मध्य प्रदेश के गुना में ट्रक-बस की टक्कर में 8 मजदूरों की जान चली गई। 14 मई को महाराष्ट्र के औरंगाबाद में 16 मजदूर ट्रेन की चपेट में आने से मारे गए थे।
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