यह घटनाक्रम भारत के इतिहास में दर्ज हो जाएगा। भारत सरकार की केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा संसद में प्रस्तुत किए गए खेती से संबंधित दो नए कानूनों के खिलाफ कैबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया है। संसद में सरकार द्वारा प्रस्तावित नए कानूनों की समीक्षा, आलोचना और विरोध विपक्षी पार्टियां हमेशा करती हैं परंतु ऐसा बहुत कम होता है जब सत्तारूढ़ दल के कैबिनेट मंत्री किसी विधेयक के प्रस्तुत हो जाने से नाराज होकर इस्तीफा दे दे।
केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल मोदी सरकार में अकाली दल की एकमात्र प्रतिनिधि हैं। अकाली दल, बीजेपी की सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी रही है। इससे पहले शिरोमणि अकाली दल नेता सुखबीर सिंह बादल ने लोकसभा में कहा कि पार्टी नेता और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल संसद में लाये गये कृषि संबंधी विधेयकों के विरोध में केंद्र की मोदी सरकार से इस्तीफा देंगी।
कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 पर चर्चा में भाग लेते हुए सुखबीर बादल ने कहा, ‘‘शिरोमणि अकाली दल किसानों की पार्टी है और वह कृषि संबंधी इन विधेयकों का विरोध करती है.’’ निचले सदन में चर्चा के दौरान कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘ शिरोमणि अकाली दल ने कभी भी यू-टर्न नहीं लिया।’’
बादल ने कहा, ‘‘हम राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के साथी हैं। हमने सरकार को किसानों की भावना बता दी। हमने इस विषय को हर मंच पर उठाया। हमने प्रयास किया कि किसानों की आशंकाएं दूर हों लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।’’
उन्होंने कहा कि पंजाब के किसानों ने अन्न के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिये महत्वपूर्ण योगदान दिया है। पंजाब में लगातार सरकारों ने कृषि आधारभूत ढांचा तैयार करने के लिये कठिन काम किया लेकिन यह अध्यादेश उनकी 50 साल की तपस्या को बर्बाद कर देगा। अकाली दल नेता ने लोकसभा में कहा, ‘‘ मैं घोषणा करता हूं कि हरसिमरत कौर बादल सरकार से इस्तीफा देंगी।
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