
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ अपने दो दिन के ग्वालियर दौरे पर हैं। दो दिन के दौरे में कमलनाथ ने कल शुक्रवार को ग्वालियर में एक रोड शो किया जिसमें हज़ारों की संख्या में भीड़ जुटी। ग्वालियर दौरे के दूसरे दिन कमलनाथ ग्वालियर में ही आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को सम्बोधित कर रहे थे। अपने संबोधन में उन्होंने सीएम शिवराज पर तंज कसते हुए कहा कि शिवराज अपनी जेब में नारियल रखकर चलते हैं जहाँ मौका मिलता है फोड़ देते हैं और घोषणाएँ कर देते हैं।
पहले लोग मध्यप्रदेश की बात करते थे, तो वे ग्वालियर की बात करते थे
पीसीसी चीफ ने कहा कि 50-60 साल पहले जब लोग मध्यप्रदेश की बात करते थे। तो लोग ग्वालियर की बात करते थे। मध्यप्रदेश की पहचान ग्वालियर था। कोई इंदौर की बात नहीं करता था, कोई भोपाल की बात नहीं करता था, जबलपुर की कोई बात हो जाती थी क्योंकि वहाँ हाईकोर्ट था पर कोई जबलपुर की बात नहीं करता था। सब उस वक़्त ग्वालियर-चंबल की बात करते थे।
ग्वालियर क्यों पीछे है, यह बुनियादी प्रश्न है
पूर्व मुख्यमंत्री श्री नाथ ने कहा – ग्वालियर फलाईओवर से उपेक्षित है, जबलपुर में फ्लाईओवर बन रहे हैं, इंदौर में बन रहे हैं, मेट्रो की शुरुआत हो गई है ग्वालियर क्यों पीछे है, यह बुनियादी प्रश्न है। मेरे लिए यह उपचुनाव आम चुनाव नहीं है। यह ग्वालियर-चंबल के भविष्य का चुनाव है और मेरा प्रयास रहेगा कि हम ग्वालियर-चंबल में विकास का एक नया इतिहास बनाएंगे। मेरी ऐसी सोच रही है ताकि पूरा मध्यप्रदेश केंद्र बने।
यह उपचुनाव तय करेगा कि मध्यप्रदेश कौन सी पटरी पर चलेगा
श्री कमलनाथ ने कहा कि यह उपचुनाव तय करेगा कि मध्यप्रदेश कौन सी पटरी पर चलेगा। 15 महीने कांग्रेस की सरकार रही। इसमें से दो-ढाई महीने लोकसभा चुनाव और आचार सहिंता में गए, एक महीना सौदेबाज़ी में गया, मेरे पास साढ़े ग्यारह महीने थे और साढ़े ग्यारह महीने में कांग्रेस की सरकार ने अपनी नियत और नीति का परिचय दिया।
आज की बनी हुई सरकार नोट की सरकार है, हमारा संविधान दाँव पर लगा हुआ है
वर्तमान सरकार को लेकर उन्होंने कहा कि हमने वोट से सरकार बनाई थी नोट से सरकार नहीं बनाई थी। आज की बनी हुई जो नोट की सरकार है। हमारे प्रजातंत्र और संविधान के साथ इतना खेल हुआ बाबा साहब अंबेडकर ने हमारा संविधान बनाया था उन्होंने कभी नहीं सोचा था इस तरह की राजनीति हमारे देश में होगी। किसी सांसद या विद्यायक का निधन हो तो उपचुनाव का प्रावधान किया था पर बिकाऊ हो जाएंगे, सौदा लग जाएगा, बोली लग जाएगी इसका प्रावधान हमारे संविधान में नहीं है और दाँव पर लगा है हमारा संविधान, दाँव पर लगा है हमारा प्रजातंत्र उपचुनाव में यह हमारे सामने एक चुनौती है।
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