
मध्यप्रदेश के इंदौर में एक और कोरोना ने अपना कहर बरपाया है तो वहीं दूसरी ओर अस्पतालों की लापरवाही के नए-नए मामले सामने आ रहे हैं। इंदौर के एमवायएच से ही एक दिल दिहला देने वाला मामला सामने आया है। अस्पताल में भर्ती एक 54 वर्षीय मरीज की मौत नौ दिन पहले ही हो गई थी लेकिन परिवार वालों की इसके बारे में कोई सूचना नहीं दी गई।
54 वर्षीय तानाजी पिता केशव, निवासी पीथमपुर की नौ दिन पहले मौत हो गई थी। नौ दिन पहले वो एमटीएच अस्पताल में भर्ती थे, उन्हें बाद में एमवायएच अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तानाजी के परिवार वालों को यही लगता रहा है कि नौ दिन से तानाजी का इलाज एमवायएच में चल रहा है।
इस बारे में शुक्रवार को परिवार वालों की सूचना दी गई, जिसके बाद परिजनों का गुस्सा अस्पताल के कर्मचारियों पर निकला और वो उनसे खासा नाराज दिखाई दिए। तानाजी को छह सितंबर को एमटीएच में भर्ती किया गया था और नौ सितंबर को उनकी कोरोना से मौत हो गई।
सूत्रों के मुताबिक जिस दिन तानाजी का शव एमवायएच आया तो उस दिन पुलिस को बस इतनी जानकारी दी गई कि परिजनों को तलाशना है। हेड कांस्टेबल नारायण सिंह ने जानकारी दी कि पुलिस ने रिकॉर्ड में नौ सितंबर को एंट्री कर ली थी, लेकिन किसी ने परिजनों का नाम और पता नहीं लिया।
इसके पहले भी इंदौर के एमवायएच में ऐसा ही मामला सामने आया था। अस्पताल के मुर्दाघर में एक लावारिस शव स्ट्रैचर में ही सड़ गया और कंकाल बन गया। इस मामले में चार वार्ड स्टाफ के साथ संयोगितागंज एसआई मनीष गुर्जर और आरक्षक दीपक धाकड़ को सस्पेंड किया गया था।
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