
मध्यप्रदेश में किसानों को फसल बीमा के नाम पर 4 रुपए तो कहीं 11 रुपए तक मिले हैं। जिसके बाद प्रदेश में सरकार की किरकिरी हो रही है। सरकार ने इस गड़बड़ी का जिम्मेदार बीमा कंपनी को बताया और मामले की जांच की बात कही है। कृषि मंत्री कमल पटेल का कहना है कि ‘जिन किसानों के खाते में 4 रुपये आये हैं, उन किसानों के साथ धोखा हुआ है। कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा है कि बीमा कंपनियों के मूल्यांकन में गड़बड़ी के कारण किसानों के खाते में कम राशि आई है। कृषि मंत्री ने कहा कि ऐसी व्यवस्था होगी कि किसान को फसल बीमा के रूप में कम से कम 2 हजार रुपए मिलें।
किसानों को मिली कम राशि का मुद्दा कांग्रेस और किसान संघ ने भी उठाया था। किसान को सिर्फ 4 ,11, 33 रुपये मिलने पर बीमा राशि सर्वे पर भी सवाल खड़े किए थे। जिसके बाद अब सफाई दी जा रही है कि बीमा कंपनी की गलती से ये सब हुआ है।
कृषि मंत्री ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया कि वर्ष 2018 का फसल बीमा किसानों को नहीं दिलाया। बीजेपी सरकार ने आने के बाद 2200 करोड़ रुपये की प्रीमियम जमा कराके वर्ष 2019 के फसल बीमा की राशि किसानों के खातों में पहुंचाई है। लेकिन किसानों को कम पैसा इसलिए मिला है, क्योंकि कांग्रेस सरकार ने बीमा की स्केलिंग घटाकर 75 फीसदी कर दी थी। ताकि उन्हे फसल बीमा के लिये ज्यादा पैसा नहीं मिलाना पड़े।
मीडिया को संबोधित करते हुए कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा कि सरकार वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के लिए संकल्पित है। संसद में पारित दोनों कृषि विधेयकों के बारे में उन्होंने कहा कि इससे लक्ष्य की प्राप्ति आसान हो जाएगी। इस बिल से ना तो मंडियां बंद होंगी, और ना ही समर्थन मूल्य पर खरीदी बंद की जाएगी, इससे किसानों को ये आजादी मिली है कि वे अपनी उपज जिसे चाहें बेच सकें, जहां चाहें बेच सकें।
उन्होंने कहा कि जो विधेयक पारित हुए हैं, उनसे किसानों को अपनी उपज बेचने की आजादी मिली है, अपनी बेहतरी के लिए एग्रीमेंट करने की आजादी मिली है। इससे खरीदारों में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य मिल सकेगा, बिचौलिये खत्म होंगे। प्रेस वार्ता के दौरान मंत्री कमल पटेल ने कांग्रेस पर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया।
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