कृषि बिलों के विरोध में विपक्षी दलों के सांसदों ने बुधवार को संसद परिसर में प्रदर्शन किया और मार्च निकाला। सांसदों ने किसान बचाओ, मजदूर बचाओ और लोकतंत्र बचाओ के नारे लगाए। सभी अपने हाथों में पोस्टर लिए हुए थे। इससे पहले, विपक्ष ने लगातार तीसरे दिन राज्यसभा की कार्यवाही का बहिष्कार किया।
उधर, विवादित किसान बिलों पर अपनी बात रखने के लिए विपक्ष के नेता आज शाम 5 बजे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलेंगे। राष्ट्रपति कार्यालय ने इसकी जानकारी दी। इसमें बताया गया कि कोरोना प्रोटोकॉल की वजह से सिर्फ पांच नेताओं को मिलने की अनुमति दी गई है। विपक्ष ने सोमवार को चिट्ठी लिखकर राष्ट्रपति से समय मांगा था। साथ ही अपील की थी कि वे कृषि बिलों पर साइन न करें।
सभापति को चिट्ठी लिखकर कहा- श्रम विधेयकों को पारित न करें
विपक्षी दलों के सांसदों ने राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू को पत्र लिखकर कहा कि वह विपक्ष की अनुपस्थिति में श्रम से जुड़े तीन विधेयकों को सदन में पास न होने दें। हालांकि, तीनों विधेयक सदन में ध्वनिमत से पास हो गए। लोकसभा में ये बिल मंगलवार को पास हो गए थे।
राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने 24 घंटे का उपवास तोड़ा
कृषि बिलों के विरोध में विपक्षी सांसदों ने रविवार को राज्यसभा में रूलबुक फाड़ दी और उपसभापति का माइक तोड़ने की कोशिश की थी। सांसदों के इस व्यवहार से दुखी हरिवंश ने मंगलवार सुबह 24 घंटे का उपवास रखने का ऐलान किया था। आज सुबह उन्होंने जूस पीकर उपवास खत्म किया।
तीसरे कृषि विधेयक समेत 7 बिल बिना विरोध पास हुए
संसद में विपक्ष के बायकॉट के बीच मंगलवार को तीसरा कृषि विधेयक भी पास हो गया…वह भी बिना किसी विरोध के। सोमवार को राज्यसभा से 8 सांसदों के निलंबन के विरोध में मंगलवार को कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों ने दोनों सदनों का बायकॉट कर दिया। इसकी वजह से संसद में महज साढ़े तीन घंटे में 7 विधेयक पास हो गए। इनमें एसेंशियल कमोडिटीज (अमेंडमेंट) बिल भी था। इसके जरिए सरकार ने अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, आलू और प्याज को जरूरी वस्तुओं की लिस्ट से हटा दिया और स्टॉक लिमिट भी खत्म कर दी।
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