April 19, 2024

मध्यप्रदेश विधानसभा उपचुनाव को लेकर भाजपा को बगावत का डर, पूर्व विधायक मंजू दादू प्रत्याशी घोषित होने के बाद से नाराज

  • पूर्व विधायक के कांग्रेस नेताओं के संपर्क में होने की बात, निर्दलीय लड़ सकती हैं।

उपचुनाव में प्रत्याशी को लेकर चल रहे विरोध के बीच भाजपा में बगावत का डर बढ़ गया है। पूर्व विधायक मंजू दादू प्रत्याशी घोषित होने के बाद से नाराज हैं। अब उनके निर्दलीय चुनाव लड़ने की बात सामने आई है। चुनाव लड़ने पर मंजू ने कहा जनता और कार्यकर्ताओं की भावनाओं को ध्यान में रखकर फैसला लूंगी। ऐसा नहीं है कि मंजू दादू की नाराजगी पहली बार जाहिर हुई है।

भाजपा से बतौर प्रत्याशी सुमित्रा कास्डेकर का नाम घोषित होने के बाद से कार्यकर्ताओं ने खुलकर विरोध किया और मंजू को टिकट देने की मांग की। तब मंजू के कांग्रेस के बड़े नेताओं के संपर्क में होने की बात भी सामने आई थी। हालांकि उन्होंने इससे साफ इनकार कर दिया था, लेकिन अब चुनावी समीकरण बदल रहे हैं। भाजपा में ही कार्यकर्ता कास्डेकर का विरोध कर रहे हैं। ऐसे में नाराज कार्यकर्ताओं के दम पर मंजू निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। हालांकि कांग्रेस के बड़े नेता अब भी उनसे संपर्क बनाए हुए हैं।

कानापुर में हुई गुप्त बैठक, चुनाव लड़ने पर फैसला दो दिन में

बीती रात मंजू दादु के गांव कानापुर में उनकी कार्यकर्ताओं के साथ गुप्त बैठक हुई। इसमें विधानसभा चुनाव में उनकी दावेदारी करने पर जोर दिया गया है। भाजपा के नाराज कार्यकर्ता उनके कांग्रेस से चुनाव लड़ने के बजाय निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने पर जोर दे रहे हैं। अगले दो दिन में यह तय हो जाएगा कि मंजू चुनाव लड़ेंगीं या नहीं।

2011 में फर्जी अंकसूची के आधार पर गैस एजेंसी लेना चाहतीं थीं कास्डेकर, जांच में मिली थी गलत

नकली नोट कांड में अपने प्रतिनिधि का नाम आने के बाद अब नेपानगर की पूर्व कांग्रेस विधायक और अब उपचुनाव में भाजपा की प्रत्याशी सुमित्रा कास्डेकर एक बार फिर विवादों में हैं। इस बार उन पर गैस एजेंसी लेने के लिए फर्जी अंकसूची बनवाने का आरोप लगा है। उपचुनाव से ठीक पहले यह मामला सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है।

मामला 2011 का है। सुमित्रा कास्डेकर गैस वितरण एजेंसी लेना चाहतीं थीं। इस मामले में सूचना के अधिकार के तहत निकाली गई जानकारी अब ऐन चुनाव के वक्त सामने आई है। बताया जा रहा है कि इंडियन ऑइल कंपनी ने कास्डेकर द्वारा लगाए गए दस्तावेजों को जांच में गलत पाया था।

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