संघ लोक सेवा आयोग ने प्री परीक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट को बताया कि परीक्षा को स्थगित करना असंभव है। यूपीएससी ने कोर्ट को बताया कि परीक्षा को लेकर सारी व्यवस्थाएं की जा चुकी हैं। ऐसे में आखिरी समय पर परीक्षा को टाला नहीं जा सकता। मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस खानविल्कर की तीन सदस्य बेंच ने यूपीएससी से हलफनामा दायर करने के लिए कहा है। शीर्ष अदालत मामले की सुनवाई अब बुधवार को करेगी।
4 अक्टूबर को देश भर में यूपीएससी की प्री परीक्षा आयोजित की जानी है। पहले यह परीक्षा 31 मई को आयोजित की जानी थी। लेकिन कोरोना जनित परिस्थितियों को देखते हुए आयोग को इस परीक्षा के आयोजन की तारीख को आगे बढ़ाना पड़ा। चूंकि देश और दुनिया में अभी कोरोना का संकट टला नहीं है। लिहाज़ा देश भर के यूपीएससी प्री परीक्षा में शामिल होने वाले 20 अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में परीक्षा को टालने हेतु याचिका दायर की है।
स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए ज़रूरी है परीक्षा का स्थगन
अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा है कि यूपीएससी प्री परीक्षा अभ्यर्थियों के स्वास्थ्य व सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए काफी घातक है। ऑफलाइन परीक्षाओं का आयोजन अभ्यर्थियों की जिंदगियों को खतरे में डालने जैसा है। याचिका में कहा गया है कि यूपीएससी का फैसला संविधान में वर्णित अनुच्छेद 21 द्वारा प्रदत्त जीवन और स्वास्थ्य के अधिकारों का साफ तौर पर उल्लंघन है।
परीक्षा में देरी से अकादमिक सत्र में देरी नहीं होगी
याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में कहा है कि यूपीएससी परीक्षा अकादमिक सत्र से एकदम ही अलग है। अकादमिक सत्र और संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में बड़ा अंतर है। इससे अकादमिक सत्र पर न तो कोई प्रभाव पड़ेगा और न ही कोई देरी होगी।
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