April 20, 2024

फसल बीमे की राशि नहीं मिलने से परेशान किसान ने की आत्महत्या

  • सीहोर जिले के मंडी थाना इलाके की वारदात।
  • सोयाबीन में कीड़े लगने से खराब हो गई थी किसान की फसल।
  • अधिकारी ने बताया पारिवारिक झगड़ा है कारण।

सरकार के तमाम दावों और वादों के बीच एक और किसान ने कर्ज से परेशान होकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। मामला सीहोर के मंडी थाना इलाका स्थित नापलाखेड़ी गांव का है। यहां 55 वर्षीय किसान नन्नूलाल वर्मा ने फांसी लगाकर जान दे दी। इस किसान पर करीब 7 लाख का कर्ज था। किसान के बेटे संतोष वर्मा का कहना है कि उनके पिता ने खेती के लिए सोसाइटी से कर्ज ले रखा था। 6 एकड़ में लगी  सोयाबीन की पूरी फसल बरबाद हो गई थी। फसल बीमे की राशि भी अभी तक नहीं मिली है। सात लाख का कर्ज और खराब फसल होने की वजह से दुखी होकर उन्होंने आत्महत्या कर ली।  

वहीं किसान नन्नूलाल वर्मा की आत्महत्या के बारे में सीहोर ASP समीर यादव का कहना है कि किसान की मौत की कोई खास वजह नहीं है। पुलिस ने कहा कि किसान ने घर बनाने के लिए कर्ज लिया था। बंटवारे को लेकर किसान का विवाद था। जबकि किसान के बेटे संतोष वर्मा का कहना है कि उनके पिता ने खेती करने के लिए कर्ज लिया था। फिलहाल पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

गौरतलब है कि मृतक किसान नन्नूलाल वर्मा के परिवार में उसकी पत्नी के अलावा तीन बेटे हैं, दो बेटों की शादी हो चुकी है। उनका गुजारा खेती करके ही होता था।

किसान हितैषी होने का दावा करने वाली सरकार के राज में आए दिन किसान आत्महत्या को मजबूर हैं। मंगलवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले विदिशा के सिरोंज में किसान ने आत्महत्या कर ली थी। किसान गोवर्धन भावसार ग्राम भोरिया का रहने वाला था। उसकी फसल खराब हो गई थी। जिससे दुखी होकर उसने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। कांग्रेस ने किसान की खुदकुशी पर सरकार पर सवाल खड़े किए थे। मध्यप्रदेश की बीजेपी सरकार तमाम वादों के बाद भी किसानों को राहत देने में विफल रही है। फसल नष्ट होने से निराश किसान लगातार जान दे रहे हैं। 

गौरतलब है कि इससे पहले भी मध्यप्रदेश के निवाड़ी, विदिशा, छिंदवाड़ा, विदिशा और सीहोर में कई किसानों ने फसल खराब होने और मुआवजे के अभाव में अपनी जान दे दी थी।   

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