मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने कोरोना काल में राजनीतिक कार्यक्रमों में भीड़भाड़ होने और कोरोना गाइडलाइन का पालन न होने पर नाराज़गी जाहिर की है। हाई कोर्ट ने इस ढिलाई के लिए जिला प्रशासन को कड़ी फटकार लगाई है। हाईकोर्ट का मानना है कि प्रशासन राजनीतिक दबाव के चलते कोरोना गाइडलाइन का पालन नहीं करा रहा है। अदालत ने प्रशासन को निर्देश दिया है कि उसे हर हाल में कोरोना गाइडलाइन्स का पालन कराना होगा। अगर ऐसा नहीं कराया गया तो इसे कोर्ट की अवमानना माना जाएगा।
राजनीतिक कार्यक्रमों में 100 से ज्यादा लोग न हों
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि अगर किसी राजनीतिक कार्यक्रम में 100 से ज्यादा लोगों की भीड़ होती है, तो प्रशासन उस पर तत्काल उस पर कार्रवाई करे। अगर कार्रवाई नहीं होती है, तो उस क्षेत्र के जिम्मेदार अधिकारियों को कसूरवार माना जाएगा। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा है कि अगर कहीं उसके इन दिशानिर्देशों का उल्लंघन होता नज़र आए तो कोई भी व्यक्ति कोर्ट को इसकी सूचना दे सकता है।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने ये सभी निर्देश एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। यह जनहित याचिका राजनीतिक कार्यक्रमों में हो रही भीड़ पर चिंता जाहिर करते हुए दायर की गई थी। कोर्ट ने इस मामले में ग्वालियर-चंबल संभाग के कलेक्टर ओर एसपी को तलब किया था। साथ ही कोर्ट ने तीन वरिष्ठ वकीलों को न्याय मित्र बनाया था, जिन्होंने अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौपीं थी। मसले के तमाम पहलुओं पर विचार करने के बाद ही कोर्ट ने दिशानिर्देश जारी किए हैं। इस मामले की अगली सुनवाई अब 15 अक्टूबर को होगी।
28 सीटों पर होने हैं उपचुनाव
मध्य प्रदेश में 28 सीटों पर उपचुनाव घोषित हो चुके हैं, जिसके बाद से प्रदेश में सियासी गतिविधियां तेज़ हो चुकी हैं। नामांकन और नाम वापसी जैसी प्रक्रियाएं पूरी होने के बाद 3 नवंबर को वोटिंग और 10 नवंबर को वोटों की गिनती के बाद नतीजे घोषित होने हैं। मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा उप-चुनाव ग्वालियर चंबल अंचल में ही हो रहे हैं।
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