
- मेडिकल स्टोर घाटे के कारण बंद होने पर चाय-समोसे की दुकान खोली थी।
- सूदखोरों के डर से दे दी जान।
लॉकडाउन के कारण बढ़े आर्थिक संकट और कर्ज के बोझ से परेशान होकर उज्जैन के दवा कारोबारी पीयूष चौहान ने खुदकुशी कर ली। दो दिन पहले पीयूष के बड़े भाई प्रवीण ने भी नदी में कूदकर जान दे दी थी। तभी से बेहद परेशान चल रहे पीयूष ने भी बड़े भाई की तरह ही क्षिप्रा नदी में कूदकर जान दे दी। मीडिया में सामने आई जानकारी के मुताबिक प्रवीण और पीयूष चौहान के परिवार की आर्थिक हालत कोरोना लॉकडाउन के दौरान ऐसी बिगड़ी कि कभी सुधर नहीं पाई। परिवार पर सूदखोरों के कर्ज का इतना बोझ हो गया, जिसने दो जवान भाइयों को ऐसा कदम उठाने पर मजबूर कर दिया।
लॉकडाउन में आई मंदी की वजह से बंद हुई थी दुकान
लॉकडाउन से पहले पीयूष अपने बड़े भाई प्रवीण के साथ मेडिकल स्टोर चलाते थे। लेकिन कोरोना की वजह से देशभर में लगे लॉकडाउन के दौरान उनके मेडिकल स्टोर के कारोबार में भारी घाटा होने लगा। आर्थिक तंगी से परेशान होकर पीयूष ने दवा की दुकान बंद करके चाय नाश्ते की दुकान खोल ली थी।
छोटे भाई ने सोशल मीडिया पर बयां किया था दर्द
पीयूष कर्ज और सूदखोरी की वजह से परेशान था। बड़े भाई की मौत से दुखी छोटे भाई ने खुदकुशी करने से पहले अपने फेसबुक अकाउंट पर कलेक्टर और एसपी को संबोधित करते हुए एक पोस्ट लिखा था। जिसमें उसने कहा था कि ‘साहब सूदखोरों की वजह से आज एक और जिंदगी खत्म हो गई है, अब आप अपनी कानून व्यवस्था को संभाल लो, सूदखोरों और ब्लैकमेलरों को तो मैं संभालने आ ही रहा हूं।’

बड़े भाई के सुसाइड नोट में कर्ज के बोझ का जिक्र
दरअसल शनिवार को पीयूष के बड़े भाई प्रवीण चौहान ने भी क्षिप्रा नदी में कूद कर जान देदी थी। पुलिस को एक सुसाइड नोट मिला है, जिसमें उसने 15 लाख के प्लॉट का जिक्र भी किया है। प्रवीण ने प्लॉट खरीदने को अपनी गलती बताया और लिखा कि प्लॉट की वजह से बहुत ज्यादा कर्ज हो गया है। इसके कारण सूदखोरों का बहुत दबाव है। प्रवीण ने सुसाइड नोट में लिखा था कि उसके शव को घर ना लेकर जाएं, मशीन में ही अंतिम संस्कार करे, पूजा-पाठ श्राद्ध कुछ भी नहीं करें। प्रवीण चौहान के सुसाइड नोट में साफ लिखा है कि कर्जा बहुत ज्यादा हो गया है। सूदखोरों का बहुत दबाव है। फिलहाल उज्जैन पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
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