- पार्टी से नाराज वर्मा को विधायक आकाश विजयवर्गीय और विधायक रमेश मेंदोला मनाने में सफल रहे।
- वर्मा ने भाजपा से इस्तीफा देकर शुक्रवार को शिवसेना से उपचुनाव में नामांकन दाखिल किया था।
सांवेर में 7 दिन बाद आखिरकार भाजपा डैमेज कंट्रोल करने में सफल हो गई। पार्टी से इस्तीफा देकर शिवसेना के बैनर तले चुनाव मैदान में उतरे पूर्व मंत्री प्रकाश सोनकर के करीबी रहे सहकारिता प्रकोष्ठ के नगर संयोजक जगमोहन वर्मा रविवार को मान गए और फिर से पार्टी का दुपट्टा पहन लिया। उनकी नाराजगी सामने आने के बाद से ही लगातार भाजपा के वरिष्ठ नेता उन्हें मनाने में जुटे थे। रविवार को विधायक रमेश मेंदोला और विधायक कैलाश विजयवर्गीय फिर से उनके घर पहुंचे और उनसे अपना फैसला बदलने का आह्वान किया। पिछली बार पैर दबाकर उन्हें मनाने की कोशिश करने वाले प्रवक्ता उमेश शर्मा ने फिर से उनके कंधों को दबाते हुए उन्हें मान जाने को कहा।
शिवसेना का दुपट्टा डालते ही उन्हें मनाने पहुंचे कई नेता
सहकारिता प्रकोष्ठ के नगर संयोजक जगमोहन वर्मा ने सोमवार को शिवसेना का दुपट्टा धारण कर लिया था। दोपहर होते-होते भाजपा नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे और विधायक आकाश विजयवर्गीय उन्हें मनाने पहुंच गए। प्रदेश प्रवक्ता उमेश शर्मा ने उनके पैर पकड़ कर अपने अंदाज में मनाने की कोशिश की। हालांकि वर्मा मान तो गए, लेकिन उन्होंने 24 घंटे का अल्टीमेटम दे दिया। उन्होंने कहा कि मंगलवार तक भाजपा जिला प्रशासन के जरिए खड़ी कराई व्यवस्था दोबारा शुरू करने की अनुमति दिलवाए।
मीडिया से बात में उन्होंने कहा था कि अपनी बात पार्टी अध्यक्ष और विधायक के समक्ष रख दी है। बात मान ली तो ठीक अन्यथा मंगलवार को शिवसेना में पद संभाल लूंगा। अभी सिर्फ दुपट्टा पहना है, पार्टी में शामिल नहीं हुआ हूं। शुक्रवार दोपहर 2 बजे तक उन्होंने पार्टी के रुख का इंतजार किया था। पार्टी ने संतुष्ट जनक जवाब नहीं मिलने पर उन्होंने सांवेर उपचुनाव के नामांकन के अंतिम दिन शिवसेना के प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल कर दिया था। शनिवार से उन्होंने प्रचार भी शुरू कर दिया था। वर्मा के बागी होकर मैदान में उतरने से भाजपा को काफी नुकसान होने का अनुमान लगाया जा रहा था।
पार्टी में फिर से वापस लौटे वर्मा ने कहा कि भाजपा मेरी मां है। मां से बच्चे नाराज भी होते हैं, लेकिन जब मां के साये में रहकर हम अपना जीवन यापन करते हैं, राजनीति करते हैं तो उसे नहीं भूला जा सकता। जब परिवार के लोग यह कहते हैं कि आपकी बात मानी जाएगी तो फिर मां को छोड़ने का सवाल ही नहीं पैदा नहीं होता। 40 साल मैं पार्टी में रहा। विधायक रमेश मेंदोला और विधायक आकाश विजयवर्गीय ने हम्मालों और व्यापारियों की बात पर्दे के पीछे रहकर पूर जोर तरीके से रखी है। आकाश जी मेरे बच्चे जैसे हैं। मां से थोड़ी नाराजगी थी अब कोई नाराजगी नहीं है। मैं अपना नामांकन वापस ले रहा हूं। हम सब कंधे से कंधा मिलाकर भाजपा प्रत्याशी को जिताने के लिए काम करूंगा। मेरी कोई व्यक्तिगत मांग नहीं है, मजूदरों के लिए लड़ता रहा और आगे भी लड़ता रहूंगा।
विधायक मेंदोला ने कहा कि वर्मा पार्टी के बहुत वरिष्ठ नेता हैं। उसने पार्टी अध्यक्ष, संगठन मंत्री ने उसने चर्चा की। उनकी नाराजगी व्यक्तिगत नहीं थी, वे मजूदरों और हम्मालों के लिए लड़ रहे थे। पार्टी ने उनकी मांग का निराकरण करने को कहा है। मांग तो अपनी जगह है, लेकिन उन्होंने हमारी पार्टी के लिए बहुत संघर्ष किया है। पार्टी से उनका अटूट संबंध है, वह टूट नहीं सकता। वे अपना नामांकन वापस ले रहे हैं। उनकी मांग का उचित समय पर समाधान किया जाएगा। उनकी भावना का भी ध्यान रखेंगे।
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