कोरोना वायरस महामारी और समाज के हाशिए पर मौजूद लोगों के पास मोबाइल और टीवी जैसी सुविधाएं उपलब्ध ना होने की वजह से मध्य प्रदेश में मोहल्ला कक्षाओं का प्रचलन बढ़ रहा है। इन कक्षाओं में पेड़ के नीचे पढ़ाई हो रही है, जिनमें शिक्षक दस से बीस छात्रों के समूह को पढ़ा रहे हैं। शिक्षकों के मोबाइल पर प्रशासन शिक्षा से संबधित वीडियो क्लिप्स भेज देता है, जिसे वे बच्चों को दिखाते हैं। लेकिन इन उपायों के बावजूद मोबाइल, इंटरनेट और बिजली की उपलब्धता जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी के चलते छात्रों की पढ़ाई लिखाई में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
मध्य प्रदेश में कक्षा 1 से 12 तक के करीब 92 लाख बच्चे कोरोना वायरस महामारी के चलते स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। ऐसे में प्रशासन ने उनकी पढ़ाई के लिए अलग व्यवस्था की है। शिक्षकों को व्हाट्सएप पर क्लिप्स भेजने के साथ ही साथ ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन पर भी इनका प्रसारण किया जा रहा है।
शिक्षा से संबधित वीडियो क्लिप्स राज्य शिक्षा केंद्र तैयार करता है और दिन के हिसाब से अलग-अलग विषयों से संबंधिक क्लिप्स शिक्षकों को भेजी जाती हैं। सभी शिक्षकों से अपने अपने छात्रों का व्हाट्सएप ग्रुप बनाने को कहा गया है।
हालांकि, प्रदेश के कई इलाकों में इस तरह की सुविधाएं नहीं हैं। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक आम्बदो जैसे गांव में आदिवासियों के करीब 125 परिवार रहते हैं। उनके बार टीवी, मोबाइल और रेडियो की वैसी व्यवस्था नहीं है जैसी अन्य लोगों के पास। ऐसे में यहां रहने वाले बच्चों को इस कठिन समय में शिक्षा हासिल करने में बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
अखबार को 15 वर्षीय नेहा मेहरा ने बताया कि उनके परिवार में केवल एक फोन है और चार भाई बहन उसे साझा करते हैं। यह फोन भी तब ही उन्हें मिल पाता है, जब उनके पिता किसी काम से बाहर ना जाएं।
दूसरी तरफ व्हाट्सएप और टीवी के जरिए होने वाली क्लास में शामिल विद्यार्थियों की संख्या काफी कम है। एक तरफ राज्य सरकार का दावा है कि करीब 12 लाख विद्यार्थी व्हाट्सएप के जरिए शिक्षा हासिल कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ आंकड़े बताते हैं कि व्हाट्सएप पर भेजी गई लिंक्स 6 से 7 लाख के आंकड़े के बीच ही रह जाती हैं। टीवी पर क्लास लेने वालों की संख्या और भी कम है, ऐसे में बिजली कटौती भी एक बड़ी समस्या है।
इन परिस्थितियों को देखते हुए ही मोहल्ला क्लास की शुरुआत हुई है। इसमें पूरा गांव और पंचायतें सहयोग कर रही हैं। क्लास को मजेदार बनाने के लिए शिक्षकों ने कुछ अतिरिक्त तरीके भी अपनाए हैं। अमूनन एक फोन होने पर सभी बच्चों तक उसकी आवाज नहीं पहुंच पाती, ऐसे में ब्लूटूथ स्पीकर्स का प्रयोग किया जा रहा है। स्क्रीन रिजॉल्यूशन बढ़ाने के लिए पुराने डीवीडी प्लेयर्स का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।
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