किसान इन विधेयकों के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इन तीनों बिलों को लेकर अलग-अलग तरह की चिंताएं जताई जा रही हैं। किसानों के बीच न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर काफ़ी संवेदनशीलता देखी जा रही है।
प्रति व्यक्ति भोजन उपलब्धता बढ़े, इस मकसद से सार्वजनिक वितरण प्रणाली में आमूल सुधारों पर बल लिए कम्युनिटी फूड व वाटर बैंक बनाने व राष्ट्रीय भोजन गारंटी कानून की संस्तुति भी की जाएगी। इसके साथ ही वैश्विक सार्वजनिक वितरण प्रणाली बनाई जाए जिसके लिए जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के 1% हिस्से की जरूरत होगी। महिला स्वयंसेवी ग्रुप्स की मदद से ‘सामुदायिक खाना और पानी बैंक’ स्थापित करने होंगे, जिनसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को खाना मिल सके। कुपोषण को दूर करने के लिए इसके अंतर्गत प्रयास करने के लिए सरकार कार्य करेगी।
भूमि की उत्पादकता बढ़ाने के साथ ही खेती के लिए ढांचागत विकास करना होगा। मिट्टी की जांच व संरक्षण भी होनी चाहिए। इसके लिए मिट्टी के पोषण से जुड़ी कमियों को सुधारा जाए व मिट्टी की टेस्टिंग वाली लैबों का बड़ा नेटवर्क तैयार करना होगा और सड़क के ज़रिए जुड़ने के लिए सार्वजनिक निवेश को बढ़ाने पर जोर दिया जाए।
इस सब का जब क्रमबद्ध तरीके से विकास किया जाएगा, तो अवश्य रूप से किसानों की आय में बढ़ोत्तरी होगी। साथ ही किसान को उसकी फसल का उचित मूल्य भी मिलेगा। इसके लिए विशेषज्ञों की भी मदद ली जाएगी। जब इस प्रकार से कृषी क्षेत्र में कार्य किए जाएंगे, तो इस व्यवस्था में किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य दिलाने के लिए नई पद्धति का निर्माण किया जाएगा। इससे किसानों को फसल का सही दाम भी मिलेगा और किसानों की आय भी दो गुनी हो जाएगी।
More Stories
Aaj bhi sadme me harda blast ke pidit
Yuva Congress ne CM ka putla Dahan kiya
Harda hadse par digvijaye ka CM ko patr