
कोविड -19 महामारी के कारण लॉकडाउन से देशभर में व्यावसायिक गतिविधियों पर असर पड़ा था. लोगों पर कर्ज की ईएमआई भरने का अतिरिक्त बोझ नहीं पड़े, जिससे राहत देने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने इस पैकेज का एलान किया. देखने में आया कि कारोबारी गतिविधियां ठप्प होने से कई लोगों की आमदनी रुक गई जिसके चलते इसका समय बढ़ाकर 6 महीने कर दिया गया था।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कोरोना वायरस महामारी के समय में ग्राहकों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए उन्हें छह महीनों के लिए लोन मोरेटोरियम की सुविधा दी थी। इस दौरान जो लोग वित्तीय रूप से ईएमआई का भुगतान करने में असमर्थ थे, उन्होंने इसका लाभ उठाया। वहीं कई लोगों ने मोरेटोरियम अवधि के दौरान भी नियमित रूप से किस्त चुकाई है।
एक और कोविड-19 के चलते शीर्ष अदालत ने 14 अक्तूबर को केंद्र को निर्देश दिया था कि वह महामारी के मद्देनजर रिजर्व बैंक की किस्तों के भुगतान से छूट की योजना के तहत दो करोड़ रुपये तक के कर्ज पर ब्याज माफ करने के बारे में शीघ्र निर्णय ले। वहीँ दूसरी तरफ नौकरियों के जाने के बाद सभी को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
कांग्रेस ने अपने वचनपत्र में कर्ज को लेकर अहम स्थान दिया है और कहा है कि किश्त चुकाने के लिए उनकी सरकार आते ही लोन चुकाने के लिए अतिरिक्त समय दिया जायेगा व अतिरिक्त ऋण के लिए बैंकों से समन्वय कर ऋण सम्बन्धी समस्याओं से निराकरण की ठोस पहल करेंगे।
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