
अंचल में पहली बार चंबल महोत्सव का आयोजन 2014 में हुआ था, इसे करने का प्रमुख कारण यह था कि इससे चंबल की पहचान को देश-विदेश में बदला जा सके।
कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में कहा, वे चंबल अंचल में प्रतिवर्ष राष्ट्रीय स्तर के वृहद करेंगे। चंबल महोत्स्व का आयोजन करेंगे। अंचल में पहली बार चंबल महोत्सव का आयोजन 2014 में किया गया था। पंद्रह दिन तक चलने वाले इस महोत्सव के जरिए प्रशासन का प्रयास था कि पूरे चंबल अंचल की देश व विदेशों में जो पहचान है, उसे बदला जा सके। इस महोत्स्व की खास बात यह थी कि चंबल महोत्सव के आयोजन में प्रशासन के साथ-साथ, स्वयं सेवी संस्थाएं, जनप्रतिनिधि व जिले के आमजन शामिल हुए थे।
चंबल महोत्सव का शुभारंभ 11 फरवरी से चंबल की महाआरती व चुनरी ओढ़ाने से शुरू हो कर 25 फरवरी को स्टेडियम में भव्य सांस्कृतिक संध्या से समापन की और गया था। महोत्सव के आयोजन में जिला प्रशासन सहित संस्कृति विभाग भी मदद कर चुका है।
यह फायदा होगा अंचल को
- अभी तक चंबल अंचल के तीनों जिलों मुरैना, भिण्ड व श्योपुर की पहचान डकैतों के लिए होती है। लेकिन इस छवि को बदलने के लिए यह महोत्सव अभिनव पहल होगी।
- जिस तरह से प्रदेश के होसंगाबाद में नर्मदा महोत्सव मनाया जाता है, उसी तरह चंबल महोत्सव भी प्रदेश भर में विख्यात होगा।
- महोत्सव के दौरान कई प्रतियोगिताएं, सम्मेलन, कवि सम्मेलन व अन्य ऐसी गतिधियां होंगी, जिनमें अंचल की प्रतिभाओं को आगे आने का मौका मिलेगा।
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