मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार राज्य के नौजवानों को रोज़गार देना तो दूर, रोज़गार के लिए ज़रूरी प्रशिक्षण तक देना नहीं चाहती है, यह गंभीर आरोप कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने लगाया है। जीतू पटवारी ने कहा है कि दो नेताओं का अंतर देखिए। एक तरफ कमलनाथ हैं, जो नौजवानों को रोज़गार देने के लिए प्रतिबद्ध हैं और दूसरी तरफ शिवराज सिंह चौहान हैं, जो रोज़गार तो दूर, उसके लिए प्रशिक्षण तक देने को तैयार नहीं है।
मध्य प्रदेश में रोज़गार प्रशिक्षण और कैरियर मेले खत्म
जीतू पटवारी ने यह आरोप ट्विटर के जरिए लगाते हुए एक खबर शेयर की है, जिसमें बताया गया है शिवराज सरकार ने मध्य प्रदेश में रोज़गार प्रशिक्षण और कैरियर मेलों की व्यवस्था ही खत्म कर दी है। इस खबर के मुताबिक मध्य प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा विभाग के तहत आने वाले विवेकानंद करियर गाइडेंस के नए कैलेंडर में रोज़गार प्रशिक्षण और कैरियल मेलों के आयोजन को समाप्त कर दिया गया है। नए कैलेंडर में रोज़गार को बढ़ावा देने वाले इन कार्यक्रमों की जगह पर नैतिक शिक्षा पर ज़ोर दिया गया है। जिसका मतलब यह हुआ कि शिवराज सरकार अब युवाओं को रोज़गार दिलाने की फिक्र करने की बजाय उन्हें नैतिक शिक्षा पर भाषण दिलवाएगी।
नैतिक शिक्षा और आध्यात्मिक विकास पर होंगे भाषण
राज्य में रोज़गार प्रशिक्षण और कैरियर मेलों का सिलसिला बरसों पुराना है। जिसके तहत पूरे प्रदेश के क़ॉलेजों को रोज़गार प्रशिक्षण और कैरियर मेलों के लिए फंड दिए जाते थे। लेकिन इस साल के कैलेंडर में इस तरह के आयोजनों की कोई जगह नहीं है। इसकी जगह पर नैतिक शिक्षा, बौद्धिक और आध्यात्मिक विकास के सोपान, योग और प्राणायाम, भारत का सांस्कृतिक परिचय और भारत के संविधान में मौलिक कर्तव्य जैसे विषयों पर छात्रों के साथ उनकी कक्षाओं में ही चर्चा किए जाने की बात कही गई है।
रोज़गार मेले नहीं तो रोज़गार के आंकड़े क्यों मांगे
सरकार के इस कदम के सामने आने के बाद यह सवाल उठ रहे हैं कि जब क़ॉलेजों में रोज़गार प्रशिक्षण और कैरियर मेलों का आयोजन ही नहीं किया जाएगा, तो राज्य सरकार का उच्च शिक्षा विभाग प्रदेश के कॉलेजों से यह जानकारी क्यों मांगता है कि उनके कितने विद्यार्थियों को रोज़गार मिला? आर्थिक मंदी और लॉकडाउन के कारण देश भर में करोड़ों लोगों के रोज़गार पर पहले से ही संकट है। ऐसे में शिवराज सरकार का यह कदम नौजवानों की तकलीफें और बढ़ाने वाला ही साबित होगा। दूसरी तरफ, विपक्ष को भी उपचुनाव में सरकार को घेरने के लिए एक और बड़ा मुद्दा मिल गया है।
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