मध्यप्रदेश में उपचुनाव का प्रचार अंतिम चरणों में है। भाजपा और कांग्रेस जी-जान से मैदान में जुट गई है। मतदाताओं का रुझान खुलकर सामने नहीं आ रहा है। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए भरपूर रणनीति को अंजाम दे रहे हैैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा जनता की नब्ज टटोलने के प्रयासों एवं भाजपा संगठन के कार्यकर्ताओं से मिल रहे फीडबैक में मैदानी स्थिति खराब बताई जा रही है। इसी के साथ ही इंटेलिजेंस की रिपोर्ट ने भाजपा संगठन के आला नेताओं के चेहरे पर पसीना ला दिया।
सूत्रों के अनुसार बताया जा रहा है कि लगभग पच्चीस सीटों पर कांग्रेस की स्थिति मजबूत है। आरएसएस, भाजपा और इंटेलिजेंस रिपोर्ट के अनुसार ग्वालियर चंबल संभाग में तो भाजपा की स्थति जबरदस्त तरीके से खराब बताई जा रही है।
इसकी सबसे बड़ी वजह आम जनता के भीतर कांग्रेस का बिकाऊ और टिकाऊ का मुद्दा जबरदस्त तरीके से असर कर रहा है। संघ और संगठन कांग्रेस से आए सिंधिया समर्थकों एवं भाजपा के कार्यकर्ताओं से लेकर आला नेताओं के बीच समन्वय स्थापित करने में असफल साबित हुआ है।
इंटेलिजेंस सूत्रों का भी अलग अलग चर्चाओं में कहना रहा कि भाजपा ने कांग्रेस पर जिन आक्रामक मुद्दों के साथ निशाना साधा था। वे जनता में बे-असर रहे चाहे वह गरीब हो या डबरा की भाजपा प्रत्याशी इमरती को आयटम कहे जाने पर बवाल मचाना रहा हो। आम जनता के साथ साथ चुनाव में जुटा भाजपा कार्यकर्ताओं भी इसे नौटंकी मानता रहा।
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