March 29, 2024

NIV की रिसर्च में खुलासा, वैक्सीन लगवाने वालों को डेल्टा वैरिएंट से मौत का खतरा 99% तक कम

सरकार से लेकर हेल्थ वर्कर्स तक सभी वैक्सीनेशन को ही कोरोना संक्रमण के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार मान रहे हैं। कई रिसर्च में ये साबित भी हुआ है। वैक्सीनेशन पर की गई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) की स्टडी में ऐसी ही कुछ जानकारी सामने आई है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक वैक्सीन कोरोना के सबसे खतरनाक और तेजी से फैलने वाले डेल्टा वैरिएंट से होने वाली मौतों से 99% तक सुरक्षा मुहैया कराती है। रिसर्च के रिजल्ट से पता चला है कि वैक्सीनेशन के बाद संक्रमित होने वाले 9.8% लोगों को ही अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ी, जबकि सिर्फ 0.4% संक्रमितों की मौत हुई। वैक्सीनेट व्यक्ति के कोरोना संक्रमित होने पर उसे ब्रेकथ्रो इंफेक्शन कहा जाता है।

ज्यादातर सैंपल्स में मिला डेल्टा वैरिएंट

वैज्ञानिकों ने ये जानने के लिए स्टडी की थी कि वैक्सीन का एक या दोनों डोज लगवाने के बाद भी लोग वायरस से क्यों संक्रमित हो रहे हैं? रिसर्च के लिए इकट्‌ठा किए गए ज्यादातर सैंपल्स में डेल्टा वैरिएंट की पुष्टी हुई। हालांकि, कुछ केस अल्फा, कप्पा और डेल्टा प्लस वैरिएंट के भी मिले। NIV की ये स्टडी जल्द प्रकाशित होने वाली है।

सबसे ज्यादा 181 सैंपल कर्नाटक तो सबसे कम 10 बंगाल के

NIV की स्टडी में सामने आया है कि डेल्टा वैरिएंट का पहला केस अक्टूबर 2020 में महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में मिला था। कोरोना की दूसरी लहर के लिए इस वैरिएंट को ही जिम्मेदार माना जाता है। स्टडी के लिए 53 सैंपल महाराष्ट्र से मार्च और जून के बीच लिए गए थे। सबसे ज्यादा 181 सैंपल कर्नाटक और सबसे कम 10 पश्चिम बंगाल से लिए गए। वायरस के वैरिएंट का पता लगाने के लिए इन सैंपल्स की जेनेटिक सिक्वेंसिंग भी की गई।

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