April 20, 2024

मध्यप्रदेश के खनिज मंत्री के पन्ना में फर्जी ETP पर रेत का अवैध कारोबार

मध्यप्रदेश में फर्जी इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजिट पास (ETP) से बड़ा घोटला सामने आया है। घोटालेबाजों ने फर्जी पोर्टल बनाकर जाली ETP जारी की। खनिज माफिया ने खनिज विभाग के E-खनिज जैसा एक फर्जी पोर्टल ही तैयार लिया। इसके माध्यम से फर्जी ETP बनाकर फर्जी क्यूआर कोड से पुलिस और मैदानी अमले को गुमराह कर रहे थे। यह मामला प्रदेश के खनिज मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह के गृह जिले पन्ना में सामने आया है। सतना में पकड़े जाने पर इसका खुलासा हुआ है। नागौद में दो ट्रक मालिकों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया गया है। अभी मामले की जांच चल रही है।

खनिज कारोबार में रॉयल्टी की चोरी के लिए रेत माफिया ने E-खनिज का एक फर्जी पोर्टल ही तैयार कर लिया है। इस पोर्टल के जरिए ही फर्जी E-ट्रांजिट पास (ETP) जेनरेट कर डंके की चोट पर रेत की चोरी की जा रही थी। बंद पड़ी रेत खदानों से विभाग की जानकारी के बगैर न केवल बालू निकाली जा रही थी, बल्कि अवैध रूप से रेत का भंडारण कर उसकी बिक्री और परिवहन भी कराया जा रहा था।

वाहनों के साथ जो ETP दी जा रही थी वह स्टेट माइनिंग कॉर्पोरेशन के पोर्टल में नजर नहीं आती थी। QR कोड स्कैन करने पर भी जो पोर्टल खुलता वह न तो माइनिंग कॉर्पोरेशन का था और न ही खनिज साधन विभाग का, लेकिन हूबहू उसकी जैसा होने की वजह से पकड़ में नहीं आता था।

खनिज मंत्री के जिले में नेटवर्क

रेत के कारोबार के जरिए सरकार को चूना लगाने का यह नेटवर्क प्रदेश के खनिज मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह के गृह जिले पन्ना में फल फूल रहा था। यूरेका माइंस एंड मिनरल के नाम पर पन्ना जिले में रेत खदानों का ठेका चला रहे रसमीत मल्होत्रा का नाम इस घोटाले में नाम आया है। पन्ना के बहेरा में फर्जी भंडारण बता कर मल्होत्रा ने रेत का पहाड़ खड़ा कर रखा है। इस स्टॉक से ही रेत की गाड़ियां लोड हो रही थीं और फर्जी पोर्टल से तैयार जाली ETP के जरिए परिवहन कर रही थीं।

सतना में ऐसे पकड़ा गया MP का यह बड़ा घोटाला

खनिज विभाग की टीम ने पन्ना से रेत लेकर सतना आए छतरपुर के ट्रक (MP 16 MH 1976) समेत दो वाहनों को नागौद में कुछ दिन पहले पकड़ा था। इन वाहनों के प्रकरण बनाए जाने लगे तो ट्रक मालिक ETP लेकर खड़ा हो गया। सतना के प्रभारी खनिज अधिकारी सतेंद्र सिंह ने जब ETP चेक कराई और उसका विवरण पोर्टल पर नहीं खुला तो प्रथमदृष्टया उन्हें लगा कि सर्वर की कठिनाई हो सकती है। लेकिन, जब ETP के QR कोड को स्कैन किया गया तो खनिज अधिकारी की आंखें भी फटी रह गईं। QR कोड की स्कैनिंग के बाद एक पोर्टल खुल तो रहा था, लेकिन वह पोर्टल न तो खनिज विभाग का था और न ही स्टेट माइनिंग कॉर्पोरेशन का था।

जब उन्होंने स्टेट माइनिंग कॉर्पोरेशन में संपर्क किया तो पता चला कि मल्होत्रा के भंडारण से ETP जारी होने पर रोक लगाई गई है। ,ऐसे में प्रश्न ही नहीं उठता कि उसे पोर्टल में एक्सेस मिले। इसके बाद जांच शुरू हुई, तो मामला सामने आया है। इस मामले में और कौन-कौन शामिल हैं, इसकी जांच चल रही है।

ऐसे किया खेल

जांच की गई तो पता चला कि मल्होत्रा ने भंडारण की ETP ब्लॉक होने और खदान बंद होने के बाद बेहद शातिराना योजना बनाई और इसमें टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग भी किया। उसने सरकारी पोर्टल से मिलता जुलता पोर्टल बनवाया और उसकी फंक्शनिंग भी बिल्कुल वैसी ही रखी। इसी फर्जी पोर्टल से ETP जारी की जाने लगी, जिनका वास्तव में स्टेट माइनिंग कॉर्पोरेशन अथवा खनिज विभाग से कोई वास्ता ही नहीं था। इंतजाम ऐसे दुरुस्त किए कि किसी विभाग को यह जानकारी भी न लगने पाए और कोई इस पोर्टल से जारी होने वाली जाली टीपी पकड़ भी न पाए। जो ETP जारी हों वो देखने मे बिल्कुल असली ETP जैसी ही हो। इसका फायदा रास्ते मे होने वाली रोकटोक से बचने के लिए उठाया जाता था, लेकिन सतना में यह पकड़ा गया।

खदान भी बंद

ETP का सच जानने के लिए शुरू हुई जांच के दौरान सतना के खनिज महकमे को यह भी पता चला कि जिस खदान से रसमीत मल्होत्रा रेत निकाल कर डंप कर रहा है। उस खदान को बंद करने का आवेदन विभाग को दिया जा चुका है। बड़ा सवाल यह भी है कि जब खदान सरकारी तौर पर बंद है तो फिर मल्होत्रा आखिर किसकी शह पर खदान से रेत की चोरी कर रहा था।

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