कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने संसद में बुधवार को मिड-डे मील का मुद्दा उठाया। लोकसभा में बोलते हुए सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार से मांग की है कि मिड-डे मील के तहत फिर से पका हुआ भोजन बच्चों को मिलना चाहिए। बजट सत्र के दौरान सोनिया गांधी ने लोकसभा में कहा कि कोरोना महामारी शुरू होने से लेकर अब तक बच्चों का काफी नुकसान हुआ है। महामारी में स्कूल ही सबसे पहले बंद हुए और फिर सबसे आखिर में खुले।
सोनिया गांधी ने कहा कि कोरोना काल की वजह से बच्चों को मिलने वाली मिड-डे मील की सुविधा भी रुक गई थी। फिर सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के बाद सूखा राशन दिया जाना शुरू किया गया। उन्होंने कहा कि मिलने वाला सूखा राशन पके हुए पौष्टिक भोजन का विकल्प नहीं बन सकता है। मैं केंद्र सरकार से आग्रह करती हूं कि मिड-डे मील के तहत गर्म और पका हुआ भोजन बच्चों को देना फिर से शुरू किया जाए।
सोनिया गांधी ने आगे कहा कि आंगनवाड़ियों की मदद से तीन साल से कम उम्र के बच्चों के लिए और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए भी पके हुए पौष्टिक भोजन की व्यवस्था होनी चाहिए। उन्होंने यह भी दावा किया कि पांच साल से कम आयु के बच्चे जो बेहद कमजोर है उनका प्रतिशत (संख्या) 2015-16 की तुलना में बढ़ गया है। सोनिया गांधी ने community kitchen शुरू करने की भी वकालत की।
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