April 19, 2024

मध्यप्रदेश के बच्चे नहीं पढ़ सकेंगे मुगल शासकों की गाथाएं, इतिहास के पाठ्यक्रम में होगा बदलाव

भोपाल। ऐतिहासिक धरोहरों के नाम बदलने के बाद अब मध्य प्रदेश सरकार का फोकस इतिहास बदलने पर है। राज्य सरकार जल्द ही स्कूली पाठ्यक्रम से मुगल शासकों की गाथाओं को हटाने जा रही है। स्कूली शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने यह ऐलान किया है।

मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि मुगल साम्राज्य और मुगलों की गाथाओं को सिलेबस में शामिल नहीं रहेंगे। सिलेबस से टीपू सुल्तान, सिराजुद्दौला, अकबर, शाहजहां सहित तमाम मुगल शासकों की गाथाओं को हटाया जाएगा। नए पाठ्यक्रम में मुगल साम्राज्य और मुगलों को अब शामिल नही किया जाएगा।

बीजेपी मंत्री ने तर्क दिया कि मुगलों की बजाए पाठ्यक्रम में भारत के गौरवशाली इतिहास और सनातनी परंपराओं को शामिल किया जाएगा। जिससे छात्रों को देश के हिन्दू सम्राट और उनकी रीति-नीति की जानकारी हासिल हो सकेगी। अब भारत में गौरवशाली इतिहास और परंपराओं को ही छात्रों को पढ़ाया जाएगा। इससे पहले देश में मुगल शासकों के शासन करने को ही ज्यादा तवज्जो दिया जाता रहा है और हिन्दू राजाओं के इतिहास को कमतर करके पढ़ाया गया है।

छात्र संगठन ने किया विरोध
कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई ने इस फैसले का विरोध किया है। मध्य प्रदेश एनएसयूआई के प्रवक्ता सुह्रद तिवारी ने कहा कि, ‘हमारे देश का इतिहास निश्चित ही काफी गौरवशाली है और मुगलों का शासन भी इस गौरवशाली इतिहास का हिस्सा रहा है। मुगलों ने भारत पर आक्रमण नहीं किया बल्कि वे यहीं आकर बस गए। उन्होंने यहां की संस्कृति और रहन सहन हो अपनाया। मुगलों के शासन को इतिहास से मिटाया नहीं जा सकता। नई पीढ़ी से ये क्या-क्या छिपाएंगे? संसद भवन को छिपा लेंगे या लाल किले के अस्तित्व को नकार देंगे। जब कुपढों की जमात को सत्ता मिल जाती है तो वे सभी को अपनी तरह कुपढ़ बनाने में ही जुट जाते हैं। शिक्षा मंत्री को शर्म आनी चाहिए।’

एनएसयूआई नेता ने आगे कहा कि, ‘भारत पर अंग्रेजों ने 300 साल तक शासन किया तो क्या बीजेपी उस इतिहास को बदल देगी? अंग्रेजों के खिलाफ कांग्रेस ने लड़ाई लड़ी, जबकि आरएसएस और बीजेपी के लोग जिन्हें अपना आदर्श मानते हैं उन्होंने अंग्रेजों के तलवे चाटे। सावरकर ने कई बार माफी मांगी। RSS के विचारकों ने महात्मा गांधी की हत्या की साजिश रची थी। आज भी वे गोडसे को पूजते हैं। आजाद भारत में कई दशकों तक RSS ने तिरंगा फहराने से इंकार कर दिया। ये गोडसे के वंशज कहां कहां इतिहास बदलते फिरेंगे? पाठ्यक्रमों से इतिहास बदलने से देश के साथ इन्होंने जो गद्दारी की थी उसे नहीं छिपा पाएंगे।’

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