नई दिल्ली- जम्मू कश्मीर (Jammu-Kashmir) में 1989 से 2003 के बीच हुए हिंदू (Hindu) और सिखों (Sikh) के नरसंहार की SIT जांच और विस्थापितों के पुनर्वास की मांग पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मना कर दिया है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता संस्था ‘वी द सिटीजन्स’ (We The Citizens) से कहा कि वह केंद्र सरकार को इसके लिए ज्ञापन दे.
इससे पहले 2017 में भी सुप्रीम कोर्ट ने ‘रूट्स इन कश्मीर’ नाम की संस्था की ऐसी ही याचिका सुनने से मना किया था. तब कोर्ट ने कहा था कि 1990 में हुए नरसंहार के इतने साल बाद सबूत जुटाना संभव नहीं होगा. सामाजिक संस्था ‘वी द सिटीजन्स’ की याचिका आज सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी आर गवई और सी टी रविकुमार की बेंच के सामने सुनवाई के लिए लगी.
पहले सरकार के पास जाना चाहिए- कोर्ट
बेंच के अध्यक्ष जस्टिस गवई ने याचिकाकर्ता के वकील बरुन सिन्हा से पूछा, “क्या आप ने सरकार के सामने अपनी बात रखी है? उन्हें ज्ञापन दिया है?” वकील के मना करने पर कोर्ट ने कहा कि पहले उन्हें सरकार के पास जाना चाहिए. इसके बाद उन्होंने याचिका वापस ले ली.
याचिका में कहा गया था कि कश्मीर में नरसंहार के दौरान सरकार और पुलिस निष्क्रिय बैठे रहे. आज भी वह लोगों को न्याय दिलाने को लेकर गंभीर नहीं हैं. याचिका में नरसंहार के अपराधियों और उनकी मदद करने वालों की पहचान की मांग की गई थी. यह भी कहा गया था कि कश्मीर में मारे गए और विस्थापित हुए लोगों की पहचान की जाए. विस्थापितों के पुनर्वास के लिए कदम उठाए जाएं.
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