April 25, 2024

प्रदेश सरकार पर भड़की कांग्रेस, बोली- जमीन मामले में किया 100 करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार

भोपाल- मध्य प्रदेश के उज्जैन में विनोद-विमल मिल की जमीन बेचने के मामले में शिवराज सरकार पर कांग्रेस ने 100 करोड़ रुपए के भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है. हालांकि, बीजेपी की ओर से जमीन बेचने की पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी बताया जा रहा है. इस पूरे मामले में लोगों की ओर से भी आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं.

उज्जैन में साल 1990 में विनोद-विमल मिल बंद हो गई थी. इसके बाद यहां काम करने वाले 4200 कर्मचारियों की जमा पूंजी की करोड़ों रुपए की राशि अटक गई. इसके एवज में कई कर्मचारियों ने मिल द्वारा दिए गए मकानों पर कब्जा कर लिया. पूरा मामला न्यायालय में चला, जिसके बाद यहां के मजदूरों को राशि वितरण करने के निर्देश हुए. मिल मजदूरों को लगभग 98 करोड़ की राशि वितरित की जानी है. यह राशि मंदिर की 92 बीघा जमीन बेचकर दी जा रही है. इस पूरे मामले में नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष रवि राय ने 100 करोड़ रुपए के भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है. रवि राय का कहना है कि जमीन ओने-पौने दामों में बेची जा रही है. यह जमीन मिल मजदूरों को ही दी जाना थी. इस संबंध में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नगरी निकाय चुनाव जनता से वादा भी कर चुके थे.

कांग्रेस नेता लगा रहे तमाम आरोप
कांग्रेस नेताओं के मुताबिक, मिल की भूमि को यदि हाउसिंग बोर्ड या विकास प्राधिकरण के माध्यम से विकसित करवा के भूखंड और भवन बेचे जाते तो इससे काफी राजस्व मिल सकता था, लेकिन उक्त भूमि के नौ अलग-अलग टुकड़े बनाकर तीन टुकड़ों को बेच दिया गया है. इससे सरकार को 100 करोड़ रुपए का नुकसान होगा. इस पूरे मामले में कांग्रेस बीजेपी सरकार के चुने हुए जनप्रतिनिधियों के अलावा अधिकारियों पर भी आरोप लगा रही है.

लोगों ने भी बीजेपी नेताओं को घेरा
विनोद मिल की चाल में रहने वाले जितेन्द्र के मुताबिक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चुनाव के दौरान भूमि का स्वामित्व देने का वादा किया था. अभी विनोद मिल के 160 परिवारों को बेदखल किया जा रहा है. उनके मकानों पर जबरन बुलडोजर चलाया जा रहा है. इस समय जब बीजेपी के नेताओं की आवश्यकता थी तो सभी नदारद है. विनोद मिल की चाल में रहने वाली शकुंतलाबाई के मुताबिक जमीन को 817 रुपये प्रति वर्ग फीट के हिसाब से बेचा गया है, जबकि पूर्व मजदूरों के परिवार 2000 रुपये वर्ग फीट तक देने को तैयार हैं. सरकार चाहे तो अभी भी नीलामी की प्रक्रिया को बर्खास्त कर लोगों को भूखंड मुहैया करा सकती है.

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