11 हजार से ज्यादा आवेदन अभी लंबित

भोपाल – लोगों की समस्याओं की सुनवाई के लिए सीएम हेल्पलाइन की शुरुआत की गई थी। लेकिन अब यहां लंबित शिकायतों के अंबार लगने लगे हैं। मुख्यमंत्री जनसेवा शिविर में इन शिकायतों के निवारण के लिए विशेष शिविर लगाए गए, लेकिन अब भी हालात नहीं सुधरे। 10 मई के पहले सीएम हेल्पलाइन में लंबित 16,360 शिकायतों में से सिर्फ 5,187 शिकायतों का ही निराकरण हो सका, जबकि 11 हजार से ज्यादा आवेदन अभी लंबित हैं। कलेक्टर ने जनसेवा शिविर के तहत इन सभी आवेदनों का निराकरण करने के लिए 15 जून तक का समय दिया है।
शिकायतों की पेंडेंसी के मामले में राजस्व विभाग दूसरे नंबर पर
प्रदेश के सरकारी 56 विभाग में कुल 16 हजार 360 से ज्यादा शिकायतें लंबित थीं। इन्हें मुख्यमंत्री जनसेवा शिविर में शामिल किया गया। इनमें से सिर्फ 4,202 शिकायतें विशेष कारणों से लंबित कर दी गईं। सिर्फ 5,187 शिकायतों का निवारण किया जा सका, जबकि 11,173 शिकायतें लंबित हैं। गृह विभाग की सबसे ज्यादा 2,925 शिकायतें लंबित हैं। दूसरे पायदान पर राजस्व विभाग है। यहां 2725 शिकायतों में से 1683 शिकायतें पेंडिंग हैं। इसके अलावा नगरीय विकास एवं आवास, स्कूल शिक्षा विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग में 1 हजार से ज्यादा शिकायतें पेंडिंग हैं।
6 विभागों में विशेष कारण बताकर अटकीं 2500 शिकायतें
सीएम हेल्पलाइन में 4 हजार से ज्यादा शिकायतें ऐसी हैं, जो विशेष कारण बताकर अटका दी गई है। हालांकि इसमें स्पष्ट नहीं हैं कि वो विशेष कारण क्या है। चिकित्सा शिक्षा, स्कूल शिक्षा, अनुसूचित जाति कल्याण, जनजातीय और तकनीकी शिक्षा, कौशल विभाग एवं रोजगार विभाग में विशेष कारण बताकर सबसे ज्यादा शिकायतें पेंडिंग कर दी गई है। यह आंकड़ा करीब ढाई हजार है। कुछ 10 विभाग ऐसे रहे जिनमें पेंडिंग शिकायतों की संख्या 10 से कम रही। गौरतलब है कि 10 मई से लगाए गए विशेष जनसेवा शिविर में 31 मई तक 72 हजार से ज्यादा लोगों ने शिकायतें की थीं। इनमें से 1200 से ज्यादा शिकायतों को रिजेक्ट कर दिया गया। बाकी सभी की जांच में ले लिया है।
31 विभागों में 50% तक शिकायतें हल नहीं हुईं
कुल 56 विभागों में से 31 विभागों में लंबित शिकायतों की संख्या 50% से ज्यादा है। इनमें सबसे खराब स्थिति 9 विभागों की है। इनमें विमानन, विमुक्त घुमक्कड़ एवं अर्द्ध घुमक्कड़ जाति कल्याण, संसदीय, पर्यावरण, खेल एवं युवा कल्याण, आपदा प्रबंधन, विधि एवं विधायी कार्य, उद्योग नीति एवं निवेश प्रोत्साहन, संस्कृति और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग शामिल हैं। इन्होंने सभी शिकायतों को विशेष कारण बताकर लंबित कर दिया है।
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