
- जस्टिस लोकुर ने प्रशांत भूषण, कफील खान केस और हाथरस में पुलिस कार्रवाई के उदाहरण भी दिए।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मदन लोकुर ने कहा है कि देश में आजकल कानून को तोड़ मरोड़कर लोगों की अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला किया जा रहा है। जस्टिस लोकुर ने यह बात मीडिया फॉउंडेशन द्वारा सोमवार को आयोजित बीजी वर्गीज मेमोरियल लेक्चर में कही।
कानून की निष्पक्ष व्याख्या पर व्यक्तिनिष्ठ संतुष्टि हावी हो गई है
जस्टिस लोकुर ने कहा कि इस समय कानून की ऑब्जेक्टिव यानी वस्तुनिष्ठ या निष्पक्ष व्याख्या की ज़रूरत है। लेकिन हालात ऐसे हैं कि सब्जेक्टिव या व्यक्तिनिष्ठ संतुष्टि अब कानून की सही व्याख्या पर हावी हो गई है। जस्टिस मदन लोकुर ने कहा कि आज हालात ऐसे बन गए हैं कि सद्भाव के भाषण भी सुरक्षा पर खतरा बन जाते हैं।
जस्टिस लोकुर ने प्रशांत भूषण, कफील खान और हाथरस मामले में पुलिसिया कार्रवाई और कानून के दुरूपयोग पर भी टिप्पणी की। पूर्व जज ने हाथरस मामले में धारा 144 लगाए जाने का उदाहरण देते हुए कहा कि हाथरस के इलाके से मीडिया को बाहर रखने के लिए धारा 144 लगा दी गई। ऐसा शायद पहली बार हो रहा था। लोकुर ने कहा कि कानून का दुरूपयोग कर प्रेस की आज़ादी को रोकने की कोशिश की गई।
लोकतंत्र में अलग दृष्टिकोणों का सम्मान करना ज़रूरी
जस्टिस लोकुर ने कहा कि एक लोकतंत्र में लोगों के दृष्टिकोण अलग-अलग हो सकते हैं जिनका सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर एक लोकतंत्र में अलग नज़रियों का सम्मान नहीं किया गया तो सामाजिक ताना बाना बिखर सकता है। जस्टिस लोकुर ने कानून का दुरूपयोग करके अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला किए जाने के अनेक उदाहरण देते मौजूदा हालात पर चिंता जाहिर की।
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