उज्जैन- भगवान महाकाल की सवारी में सांप्रदायिक सौहार्द की कई मिसाल भी देखने को मिलती हैं. महाकाल की सवारी में पिछले 20 साल से आस्था के साथ दारा खान शामिल हो रहे हैं. इसके साथ ही उनके परिवार के कुछ लोग भी कभी-कभी महाकाल की सवारी में शामिल होने के लिए आते हैं. मस्तक पर चंदन का तिलक और जय श्री महाकाल लिखकर सवारी में दो दशक से दारा खान शामिल हो रहे हैं.
मध्यप्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में यह सांप्रदायिक सौहार्द की अनूठी मिसाल है. जब राजाधिराज भगवान महाकाल नगर भ्रमण पर निकलते हैं तो सभी धर्म और संप्रदाय के लोग उनका पलक पावडे बिछा कर स्वागत करते हैं. इस दौरान खास तौर पर अल्पसंख्यक वर्ग के कई लोग भी सवारी में शामिल होते हैं. भगवान महाकाल की सवारी में 20 साल से शामिल हो रहे दारा खान ने बताया कि वे सवारी में शामिल भी होते हैं और “जय श्री महाकाल” का नारा भी लगाते हैं. दारा खान का कहना है कि ऊपर वाला एक ही है रास्ते भले ही अलग अलग है.
दारा खान के मुताबिक पूरी सवारी में अल्पसंख्यक वर्ग के लगभग 50 लोग शामिल होते हैं या फिर सवारी का स्वागत करते हैं. उन्होंने यह भी बताया कि उनके परिवार के कुछ लोग भी कभी-कभी सवारी में शामिल होने के लिए आते हैं.
महाकाल की सवारी में डमरू बजाते हुए निकले दारा खान
भगवान महाकाल जब पालकी में सवार होकर नगर भ्रमण के लिए निकले, उस समय दारा खान सवारी के आगे डमरू बजाते हुए चलते हुए दिखाई दिए. इसके साथ ही उनके मस्तक पर जय श्री महाकाल और ओम अंकित था. दारा खान के चेहरे को देखकर ऐसा कहीं भी प्रतीत नहीं हुआ कि वे अलग धर्म के मानने वाले हैं और सवारी में शामिल हो रहे हैं.
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