April 28, 2024

शिवराज ही नहीं सिंधिया भी कारम बांध के भ्रष्टाचार में डूबे हैं, सीएम के OSD का है कम्पनी में हैं शेयर

भोपाल। मध्य प्रदेश के धार में कारम डैम लीकेज के बाद सरकार का दावा है कि संकट टल गया। हालांकि, हजारों ग्रामीणों के सामने अब आजीविका की संकट उत्पन्न हो गई है। ग्रामीणों के घर और खेत सब बह गया। वे जंगलों पर रहने को मजबूर हैं। संकट टलने के बाद अब विपक्ष बांध निर्माण में हुई भ्रष्टाचार की जांच की मांग कर रही है। हालांकि, इसपर सरकार की ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है। इसी बीच सीपीआईएम ने दावा किया है कि बांध निर्माता कंपनी में सीएम शिवराज सिंह चौहान के OSD का 50 फीसदी शेयर है।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने इस संबंध में बयान जारी करते हुए कहा है कि प्रश्न यह नहीं है कि दिल्ली की ब्लैक लिस्टेड कंपनी को ठेका कैसे दे दिया गया। प्रश्न यह है कि कैसे यह ठेका पेट्टी कॉन्ट्रैक्ट के नाम पर सारथी कंपनी के पास पहुंच गया, जिसमें 50 फीसद शेयर मुख्यमंत्री के OSD नीरज वशिष्ट के हैं। उन्होंने दावा किया कि इस बांध की असल लागत 105 करोड़ रुपए ही था लेकिन भ्रष्टाचार करने के लिए उसे बढ़ा कर 305 करोड़ कर दिया गया।

जसविंदर सिंह ने कहा है कि इस मामले में मुख्यमंत्री की भागीदारी तीन बातों से स्पष्ट है। पहला कैबिनेट में विरोध के बावजूद ठेका देना। दूसरा इस ठेके की क्लीयरेंस में कोई तकनीकी दिक्कत न हो, इसलिए भाजपा नेता माधव सिंह डाबर के भाई को रिटायरमेंट के चार माह बाद कानूनों को ताक पर रख कर नियुक्ति देना। तीसरा अपने ओ एस डी के माघ्यम से पूरी राशि पर अपना नियंत्रण कर लेना। माकपा का दावा है कि ईडी के छापे में पाया गया था कि कंपनी ने इस ठेके के लिए 93 करोड़ की रिश्वत दी। यानी काम शुरू होने से पहले ही एक तिहाई राशि डकार ली गई थी और बाकी बचे पैसे की भी ऐसे बंदरबांट हुई।

सिंह के मुताबिक 305 करोड़ के कारम बांध के पहली ही पानी भराई में बह जाने और 18 गांवों की 22 हज़ार से ज्यादा जिंदगियों को दांव पर लगाने वाले इस पाप में शिवराज ही नहीं सिंधिया भी बराबर के भागीदार हैं। माकपा नेता ने दावा किया कि सिंधिया के साथ पाला बदलकर भाजपा में शामिल होने वाले विधायकों के साथ डील पक्का करने की 1-1 करोड़ की राशि इसी कंपनी के मालिक अशोक भारद्वाज ने दी थी।

उन्होंने कहा, ‘शिवराज सरकार की बुनियाद इसी बांध के भृष्टाचार पर टिकी हुई है। मुख्यमंत्री और जल संसाधन मंत्री जानते हैं कि यदि इस घोटाले की परतें उतरती हैं तो मुख्यमंत्री और सिंधिया ही लपेटे में आएंगे। इसीलिए वे इस पर राजनीति न करने के उपदेश दे रहे हैं।’ माकपा ने इस घोटाले की जांच करने के लिए उच्च स्तरीय समिति के गठन की मांग की है।

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