April 29, 2024

संकट है ये भारी बारिश, मुरैना में खाली कराए 30 गांव

भोपाल- मध्यप्रदेश में तीन दिन तक अलग-अलग इलाकों में हुई भारी बारिश के बाद फिलहाल कई जगह राहत है। अगले दो दिन सिर्फ बौंछारे गिरेंगी। तेज या भारी बारिश होने की संभावना नहीं है। मौसम वैज्ञानिकों की माने तो 26 अगस्त से नया सिस्टम बनेगा और पांच दिन तक फिर से प्रदेश तरबतर होगा। हालांकि यह सिस्टम 20 से 22 अगस्त तक बने सिस्टम की तरह नहीं होगा। मौसम वैज्ञानिक वेदप्रकाश सिंह ने बताया, बंगाल की खाड़ी से नया सिस्टम बन रहा है। 26 अगस्त से पूर्वी मध्यप्रदेश के हिस्सों में बारिश का दौर शुरू हो जाएगा।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बाढ़ पीड़ितों से मिलने विदिशा जिले के कुरवाई के लिए भोपाल से रवाना हुए थे, लेकिन रास्ते में वे विदिशा में ही रुक गए। वे यहां के हालातों का जायजा ले रहे हैं। यहां पर बाढ़ प्रभावितों से भी मिलेंगे।

शिवराज ने मोदी से बात कर बारिश से हुए नुकसान का अपडेट दिया
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बुधवार सुबह फोन पर बात की। उन्होंने प्रदेश में भारी बारिश से पैदा हुईं परेशानियों के बारे में उन्हें बताया। साथ ही बेतवा नदी में आई बाढ़ से प्रभावित विदिशा जिले में रेस्क्यू ऑपरेशन और राहत कैंपों के बारे में जानकारी दी। इसके अलावा रायसेन, गुना, राजगढ़, सागर, भोपाल के हालातों को भी बताया। मुख्यमंत्री ने आर्मी, NDRF की तत्काल मदद मिलने पर पीएम का आभार माना।

अब भी कई नदियां उफान पर, मुरैना में 30 गांव खाली कराए
जोरदार बारिश के चलते पार्वती, सिंध और चंबल नदियां उफान के साथ खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। जिससे इनके आसपास बसे करीब 150 गांवों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। श्योपुर में 40 गांवों में अलर्ट घोषित किया गया है। मुरैना में 30 गांव खाली कराने के साथ ही 100 गांवों को अलर्ट किया गया है। बीना में बेतवा नदी का पानी लगातार बढ़ रहा है। हालांकि विदिशा में बेतवा का जलस्तर थमा हुआ है, यहां NDRF और स्थानीय राजस्व प्रशासन ने 4 दिन के बच्चे को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया है।

बेतवा से 3 किमी दूर बसा गांव चारों ओर पानी से घिरा
बीना में बेतवा नदी में आई बाढ़ ने लोगों को 58 साल पहले 1964 में आई बाढ़ की याद दिला दी है। चिंता की बात यह है कि नदी का पानी लगातार बढ़ रहा है, इससे हांसलखेड़ी व ढिमरोली गांव के 2700 लोग बाढ़ में फंस गए हैं। वहीं हांसलखेड़ी से एक किलोमीटर दूर नदी की ओर बसा पठार टापू बन गया है और यहां पर 50 परिवारों के 200 से ज्यादा लोग फंसे हैं।

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