May 10, 2024

सरकार जोरशोर से झूठ बोल रही है और खुद भाजपा के नेता सवाल उठा रहे हैं, प्रेस वार्ता में बोले सुरेश पचौरी

भोपाल- सफलता वह होती है जिसे सब खुले मन से स्वीसकार करे। खुद अपनी तारीफ करना अपने मुंह मियां मिट्ठू होना कहलाता है। मध्यवप्रदेश की भाजपा सरकार अभी यही कर रही है। अपनी सफलता को बताने के लिए भाजपा सरकार के मंत्री, विधायक और नेता गांव-शहर में घूम रहे हैं। सवाल उठना चाहिए कि तथाकथित विकास को दिखाने के लिए यह यात्रा सरकारी खर्चें पर निकाली जा रही हैं यानी जनता की गाढ़ी कमाई से मिले टैक्सन को यूं ढिंढ़ोरा पीटने में खर्च किया जा रहा है। सरकार जोरशोर से झूठ बोल रही है और खुद भाजपा के नेता सवाल उठा रहे हैं। कोई मंत्री दर्जा प्राप्त नेता भ्रष्टाजचार की पोल खोल रहा है तो कोई मंत्री सवाल पूछ रही जनता से धमकी भरे अंदाज में बात कर रहे हैं। वही दूसरी और भाजपा सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है ।

यदि भाजपा सरकार ने विकास किया है तो वह दिखना भी चाहिए। जनता को यह विकास का अनुभव करना चाहिए। लेकिन जनता तो शिकायत कर रही है कि बिजली नहीं है, पानी नहीं है, प्रधानमंत्री आवास योजना का पैसा नहीं आया, फसल बीमा नहीं मिला। किसान कर्ज माफी क्यों बंद की गई ? सामाजिक सुरक्षा पेंशन 1 हज़ार रुपए क्यों नहीं की गई ? 100 रूपए में 100 यूनिट बिजली योजना क्यों बंद की गई? मुख्यमंत्री जी ने विकास यात्रा में सड़कों की हालत देख ली होगी क्या अब भी वह यही कहेंगे की मध्यप्रदेश की सड़कें वाशिंगटन से बेहतर हैं?

नाम इसका विकास यात्रा है लेकिन सवाल यह है कि विकास किसका हो रहा है और किसके लिए विकास यात्रा निकाली जा रही है। मध्याप्रदेश में भ्रष्टासचार चरम सीमा पर है और कोई भी काम वगैर लिये दिए नहीं हो रहा है। हालात यह है कि किसान कर्जदार और डिफाल्टैर हो गए है और नौजवान आत्म हत्या करने को मजबूर हो गए है।
हालत यह है कि डबल इंजन की सरकार जहां केन्द्री य टेक्सों के माध्यम से आम जनता का खून चूस रही है वहीं राज्य में दूसरे इंजन वाली सरकार राज्यध के टेक्सों के रूप में जनता की गाड़ी कमाई छीन रही है। कई परीक्षाओं के पेपर लीक हो रहे है और सरकारी नौकरियों की हालत यह है कि आउट सोर्स ओर संविदा की भर्ती की जा रही है।

भारतीय जनता पार्टी इस तथाकथित विकास यात्रा के नाम पर जनता के धन से अपने प्रचार  प्रसार में लगी हुई है वहीं दूसरी ओर कतिपय नौकरशाह भाजपा के प्रचारक के रूप में काम करते नजर आ रहे है, उनसे यह अपेक्षा कि जाती है कि वे उच्चे आचरण पेश करे और संविधान के दायरे में काम करें।      

भाजपा सरकार को आज आईना देखने की जरूरत है और लोकतंत्र में जनता से बड़ा आईना क्याक होगा? कथित विकास यात्रा जिन इलाकों से निकल रही है उनमें से अधिकांश स्थानों पर जनता ही विकास यात्रा की पोल खोल रही है। इसका विरोध कर रही है।

कुछ उदाहरणों का जिक्र करना आवश्य क है :
 उमरिया में आदिवासी महिलाओं ने खाली डिब्बे लेकर विकास यात्रा का विरोध किया।
 सीधी जिले में विकास यात्रा को गांव में नहीं घुसने दिया। विकास यात्रा के दौरान अपनी समस्याएं बताने वाले लोगों पर लाठी चार्ज किया गया।
 ब्यावरा में विकास यात्रा के समय लाइट नहीं थी। ग्रामीणों ने पूर्व मंत्री बद्री लाल यादव को भगा ही दिया।
 छतरपुर में विकास यात्रा की पोल खोलने के लिए मंजू अग्रवाल को गधे पर बैठकर आना पड़ा। मंजू अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश की भ्रष्ट सरकार जनता को गधा समझती है। इसलिए उन्हें गधे पर आना पड़ा।
 कैसी विडंबना है कि सिवनी जिले में विकास यात्रा में बच्चों से महात्मा गांधी के खिलाफ कविता पाठ करवाया गया। और सभा में मौजूद भाजपा नेता हँसते रहे।
 निवाड़ी जिले में विकास यात्रा में भीड़ जुटाने के लिए अश्लील नृत्य करवाए गए।
 मध्यप्रदेश सरकार के कुछ मंत्री एवं विधायक विकास यात्रा में जनता को धमकाते हुए एवं गाली गलौज करते हुए नज़र आए।
 इसके अलावा दर्जनों और भी वीडियो प्रदेश की जनता ने देखे है

मध्यप्रदेश सरकार की असफलताएं :-

एक तरफ जहां समूची भाजपा और शिवराज सरकार विकास के नाम पर झूठ बोल रही है तब हमारी जिम्मेजदारी है कि हम सच बताएं। यह तो सभी जानते हैं कि किसी भी प्रदेश के विकास को का पैमाना वहां की शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार की स्थिति होती है। अब इन पैमानों पर मध्यवप्रदेश की स्थिति जान लीजिए।
 भारत सरकार के ही बनाए गए नीति आयोग के अनुसार शिक्षा के क्षेत्र में मध्यप्रदेश देश के 36 राज्यों में से 35 वें स्थान पर है और स्वास्थ्य के मामले में देश के 19 बड़े राज्यों में से 17 वें पायदान पर है। मध्यप्रदेश के बच्चे कुपोषण के शिकंजे से बाहर नहीं हो पाए हैं। प्रदेश के 60 प्रतिशत से अधिक बच्चों को सही पोषण आहार नहीं मिल रहा है। कुपोषण के मामले में मध्यप्रदेश देश में नम्बर 1 है। प्रदेश में 30 लाख रजिस्टर्ड बेरोज़गार हैं। प्रदेश में सर्वाधिक 2 करोड़ 34 लाख लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं। प्रदेश में अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों महिलाओं और बालिकाओं पर अत्याचार बढ़े हैं।
 खुद मध्यप्रदेश सरकार का आर्थिक सर्वेक्षण बताता है कि प्रदेश का खजाना खाली है और प्रदेश पर लगभग 3 लाख 83 हज़ार करोड़ से भी अधिक का कर्ज है। फिर भी सरकार हर माह कर्ज पर कर्ज लिए जा रही है। कर्ज के पैसे से कथित विकास की झूठी झांकी सजाई गई है।
 मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार ने प्रदेश के लगभग 27 लाख किसानों की कर्ज माफी की थी अन्य चरण में और भी किसानों की कर्ज माफी होनी थी लेकिन भाजपा सरकार ने इस योजना को रोक दिया। पहले मुख्यममंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद को किसान हितैषी तथा किसान पुत्र कहा करते थे। अब वे किसानों की चिंता पर कुछ नहीं कहते हैं।
 व्यापमं घोटाला, सिंहस्थ घोटाला, ई-टेंडरिंग घोटाला, मध्यान्ह भोजन घोटाला और कारम डेम जैसे अनेक घोटालों ने प्रदेश को शर्मसार किया हुआ है। कौन भूलेगा कि तब सीएजी ने महिला एवं बाल विकास में घोटाले पर सवाल पूछे तो पूरी सरकार उस पड़ताल को ही खारिज करने में जुट गई थी।
 प्रदेश में व्यापंम घोटाले के समान ही स्वास्थ्य के क्षेत्र में अनेकों घोटाले हुये हैं। आयुष्मायन योजना के जिम्मेवदार अफसरों के भ्रष्टा चार से जुड़े वीडियो वायरल हुए। आयुष डॉक्टयरों की भर्ती में फर्जीवाड़ा हुआ है। पूरे प्रदेश में लगभग 500 फर्जी अस्पताल बने हैं इन अस्पतालों को नर्सिंग होम का दर्जा देने वाले जिम्मेदार अधिकारियों पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। सरकार ने अपनी ही जांच में पाया है कि एक ही डॉक्टर 25-25 अस्पतालों का चिकित्सक बना बैठा है। मध्यप्रदेश के सरकारी संरक्षण प्राप्त अनेकों अस्पतालों में इलाज के नाम पर भारी भ्रष्टाचार हो रहा है।
 पंचायत राज व्यवस्था में चुने हुए जन प्रतिनिधियों की अनदेखी हो रही है। पंचायतों में विकास के कार्य रूके हुए हैं।
 मुख्यमंत्री रोज एक पेड़ लगाने का इवेंट मैनेजमेंट करते हैं जबकि हकीकत में प्रदेश में हज़ारों हेक्टेयर वन क्षेत्रों की अवैध कटाई हुई है। रेत का अवैध उत्खनन जारी है और प्रदेश में जंगल माफिया, रेत माफिया एवं भूमाफिया हावी हैं।
 मध्य प्रदेश में आंगन वाडी सहायिकाओं, आशा कार्यकर्ताओं, स्वह सहायता समूह, सांझा चुल्हाआ में कार्यरत महिलाओं को उचित वेतन नहीं मिल पा रहा है, साथ ही बहनों व बेटियों को पया्प्ति सुरक्षा व अधिकार से वंचित रखा गया है व बच्चों को उचित दाम पर भरपेट भोजन भी नहीं मिल पा रहा है
 मध्य,प्रदेश में विकास के नाम पर सभी प्रकार के अपराधों का विकास हुआ है एनसीईआरबी के आंकड़ों के अनुसार मध्यरप्रदेश में महिला अपराध, बाल अपराध,आदिवासियों पर अत्याचार आदि में विकास हुआ है
 विकास यात्रा की बात करने वाले यह बताएं कि चम्ब ल एक्सहप्रेसवे, राम वन गमन पथ का क्या हुआ साथ ही यह भी बताए कि भोपाल ताल में व मॉ नर्मदा में सिवेज का पानी क्योंथ जा रहा है
 मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार सत्ता के अहंकार में डूबी है। वह विज्ञापनों से अपना चेहरा चमकाने का जतन कर रही है जबकि मैदानी हकीकत कुछ और है।

कमलनाथ सरकार की प्रमुख उपलब्धियों :-
भाजपा सरकार जिन बातों का गुणगान कर रही हैं वास्तुव में देखें तो श्री कमलनाथजी ने मुख्यमंत्री के रूप में अपने सवा साल के कार्यकाल में उन उपलब्धियों को रच दिया था। उनकी सरकार ने सुशासन और विकास का एक नया अध्याय लिखा है। जनता चुनाव में जनादेश के द्वारा 60 महीनों के लिए सरकार चुनती है, लेकिन भाजपा ने 15 महिनों में ही लोकतंत्र की हत्यार कर दी और कांग्रेस की निर्वाचित सरकार अपदस्थज कर दिया।
यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि यदि कमलनाथ सरकार अपना कार्यकाल पूरा करती तो यह मध्यप्रदेश की विकास यात्रा का सर्वाधिक स्वर्णिम अध्याय होता।
श्री कमलनाथजी ने मुख्यमंत्री के रूप में मध्यप्रदेश के विकास के लिए कई जनहितैषी काम किए है। कम समय में सब को गिना पाना मुश्किल है मगर कुछ का उल्ले ख तो करना ही चाहिए। जैसेः
 जय किसान कर्जमाफी योजना के तहत प्रदेश के लगभग 27 लाख किसानों की कर्जमाफी की गई।
 किसानों के 5 हार्स पॉवर तक के बिजली बिल माफ किए गए और 10 हार्स पॉवर के बिजली बिल आधे किए गए।
 श्री महाकाल एवं ओंकारेश्विर के प्रति सेवाभाव रखते हुए मंदिर परिसर के विकास एवं विस्तार के लिए 450 करोड़ रूपए का बजट स्वीकृत किया गया।
 प्रदेश में राम वनगमन पथ के लिए बजट जारी किया गया।
 प्रदेश की जनता को 100 रूपये में 100 यूनिट बिजली दी गई।
 महिला उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए एवं उनको स्वरोजगार हेतु रियायती दरों पर बैंक से ऋण उपलब्ध कराने की व्यवस्था सुनिश्चित की गई।
 वृद्धावस्था , विधवा एवं दिव्यांग पेंशन राशि दोगुनी की गई।

भाजपा के नेतृत्व वाली केन्द्र की एनडीए सरकार की नाकामियां :-

  1. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रतिवर्ष दो करोड़ नौकरियां देने का वादा झूठा निकला।
  2. प्रत्येक खाते में 15 लाख रूपए देने का वादा जुमला निकला।
  3. किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने का वादा झूठा निकला। आय बढ़ना तो दूर उल्टे किसानों को फसलों का लागत मूल्य भी नहीं मिल रहा है।
  4. वर्ष 2022 तक सबको आवास देने की घोषणा सफेद झूठी साबित हुई।
  5. 100 स्मार्ट सिटी कहां बनी हैं,
  6. बुलेट ट्रेन कब चलेगी, किसी को खबर नहीं है।
  7. नोटबंदी से कालाधन तो नहीं आया लेकिन अर्थव्यवस्था की कमर जरूर टूट गई।
  8. गलत जीएसटी ने छोटे व्यापारियों को बर्बाद कर दिया है।
  9. पेट्रोल, डीजल और गैस की कीमतें आसमान छू रही हैं। अंतरराष्ट्री य स्त र पर पेट्रोलिया पदार्थों के दाम गिरे मगर हमारे यहां पेट्रोलियम पदार्थ की न कीमत खत्मर हुई न टैक्सम ही घटा।
  10. रूपये के कीमत में ऐतिहासिक गिरावट एनडीए के कार्यकाल में आई है 2013- 2014 में एक डालर की कीमत 60 रू.50 पैसे थी और फरवरी 2023 को 1 डालर की कीमत 82 रूपये 79 पैसा हो गई है ।
  11. बुनियादी मुददों पर विफल एनडीए सरकार’ मोदी सरकार प्रमुख रूप से शिक्षा एवं हेल्थो केयर के रूप में असफल रही है एएसआईआर रिपोर्ट के अनुसार शिक्षा व हेल्थम केयर के क्षेत्र मे कोई प्रभावी उपलब्धि नहीं रही है। मध्यप्रदेश में कहने को तो डबल इंजन की सरकार है लेकिन इसके दोनों इंजन बुरी तरह से फेल हो चुके हैं।

कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार की योजनाएं :-

मोदी सरकार की इस वादा खिलाफी की तुलना में केन्द्र की यूपीए सरकार का शासन देखा जाए तो पहली टिप्पीणी यही होगी कि उस समय देश के आम आदमी की भलाई की कई योजनाएं बनाई गई थीं। सरकारी कामकाज में पारदर्शिता लाने के मकसद से ‘सूचना का अधिकार’ दिया गया। हर बच्चे को शिक्षा मिले इसलिए ‘शिक्षा की गारंटी’ कानून बना कर दी गई। उनके लिए मध्याह्न भोजन की व्य वस्थाच की गई। ‘महात्मा गांधी नरेगा कानून’ बनाकर गांव-गांव तक रोजगार का प्रबंधन किया गया। गांव के लोगों को गांव में ही 100 दिन का रोजगार मिला। ‘नेशनल रूरल हेल्थ मिशन’ बनाकर गांव-गांव तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाई गईं। हर गांव को बिजली पहुंचाने के लिए ‘राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना’ बनाई। गरीबों को सस्ता राशन मिले, कोई भूखा पेट न सोए इसलिए यूपीए सरकार ने ‘खाद्य सुरक्षा कानून’ बनाया गया। देश के किसानों की लगभग 72 हजार करोड़ रूपयों की कर्जमाफी की गई एवं किसानों की उपज की एमएसपी की कीमत में बढ़ोत्तरी की गई। यूपीए सरकार की योजनाओं के चलते देश के 27 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाया गया लेकिन दुर्भाग्य है कि मोदी सरकार की गलत आर्थिक नीतियों, नोटबंदी व जीएसटी से देश के 23 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे चले गए।

केन्द्र सरकार की अडानी मामले में चुप्पी क्यों है? :-

कांग्रेस सांसद श्री राहुल गांधी ने संसद में गौतम अडानी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कुछ सवाल किए थे परंतु प्रधानमंत्री की ओर से इस गंभीर मामले में अभी तक कोई जवाब नहीं आया है। जबकि इन आरोपों पर प्रधानमंत्री को सबसे पहले बोलना चाहिए था मगर वे इधर उधर की बातें बनाते रहें। उनकी चुप्पी रहस्यबनी हुई है।

देशवासी जानना चाहते हैं कि :-

  1. प्रधानमंत्री को बताना चाहिए कि वे कितनी बार गौतम अडानी को अपने साथ विदेशयात्रा पर ले गए हैं? इन यात्राओं के पश्चाकत गौतम अडानी के किन-किन देशों से क्या-क्या व्यापारिक समझौते हुए?
  2. गौतम अडानी 2014 में अमीरों की सूची में 609 नम्बर पर थे जो दस से भी कम सालों में दूसरे नम्बर पर कैसे पहुंच गए? गौतम अडानी की नेटवर्थ2014 के बाद 08 बिलियन डॉलर से बढ़ कर 140 बिलियन डॉलर कैसे हुई?
  3. अडानी समूह बहुत कम समय में भारत के हवाई अड्डों व बंदरगाहों का सबसे बड़ा संचालक कैसे बन गया?
  4. सभी देशवासी साफ साफ देख रहे हैं कि अडानी समूह अपने व्यापारिक हितों के लिये केन्द्र सरकार और सरकारी नीतियों का इस्तमाल खुलेआम कर रहा है। अडानी समूह के खिलाफ धोखाधड़ी और धन अर्जित करने के आरोप सार्वजनिक पटल पर पहले से ही मौजूद हैं। अडानी समूह सेबी के नियमों का उल्लंघन करने के लिये जांच के दायरे में हैं।
  5. केन्द्र सरकार द्वारा ईडी, सीबीआई जैसी एजेंसियों का दुरूपयोग अडानी समूह के खिलाफ उठ रही आवाजों को दबाने के लिए किया जा रहा है।
  6. विपक्ष द्वारा इन सब मामलों की जांच के लिये जेपीसी की मांग को अस्वीकार कर दिया गया है जो निर्वाचित प्रतिनिधियों के विश्वाजस पर प्रश्न4वाचक चिह्न लगाता है, जबकि पूर्व में 1992 में हर्षद मेहता और 2001 में केतन पारेख मामलों की जांच जेपीसी ने की थी।

देश को श्री राहुल गांधी से उम्मीद :-

केन्द्र की मोदी सरकार इन सभी सवालों के जवाब देने से बच रही है। वह फिजूल के मुद्दों को खड़ा कर वास्तसविकता से जनता का ध्या न बंटा रही है। जबकि जनता के बुनियादी मुद्दों जैसे मंहगाई, बेरोजगारी के खिलाफ हमारे नेता श्री राहुल गांधी मैदान में उतरे हैं। उनकी अगुवाई में कन्याकुमारी से कश्मीर तक की भारत जोड़ो यात्रा ध्रुवीकरण की राजनीति के खिलाफ सद्भावना का शंखनाद थी। भारत जोड़ो यात्रा में बु़द्धिजीवी, पर्यावरणवादी, एनजीओ क्षेत्र के प्रतिनिधियों तथा समाज के भिन्न-भिन्न वर्ग के विवेक सम्पन्न नागरिकों ने शामिल हो कर इस सद्भाव के लक्ष्या को अपना समर्थन दिया है। देश की मौजूदा नकारात्मक राजनीति से दुःखी एवं चिंतित जनता ने श्री राहुल गांधी की पहल को खुले मन से स्वीतकारा और है । श्री राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा ने भारतीय राजनीति के पटल पर एक नया राष्ट्रीय एजेण्डा तय कर दिया है।

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