April 29, 2024

केंद्र से सुप्रीम कोर्ट ने किया सवाल, क्या वाकई फांसी की प्रक्रिया तकलीफदेह है, क्या केंद्र के पास कोई अन्य तरीका उपलब्ध है?

नई दिल्ली- मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में मौत की सज़ा के रूप में फांसी की प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग के साथ याचिका दाखिल की गई। सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर सुनवाई करते हुए केंद्र से पूछा कि क्या वाकई फांसी की प्रक्रिया तकलीफदेह है। क्या केंद्र के पास कोई अन्य तरीका उपलब्ध है?

ऋषि मल्होत्रा नामक अधिवक्ता द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने अटॉर्नी जनरल से पूछा कि क्या केंद्र के पास मौत की सज़ा के रूप में फांसी के बजाय कोई अन्य तरीका अपनाए जाने का आधुनिक विकल्प मौजूद है? सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर केंद को दो मई तक जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि मौत की सज़ा के रूप में फांसी की प्रक्रिया का उपयोग करना अमानवीय है क्योंकि इसमें मौत की सज़ा पाने वाले व्यक्ति को आधे घंटे तक लटकाए रखा जाता है। याचिकाकर्ता ने कहा कि दुनिया के कई देशों ने इस प्रक्रिया को बंद कर दिया है।

याचिकाकर्ता ने यह भी सुझाव दिया कि फांसी के बजाय इंजेक्शन देने, गोली मारने या इलेक्ट्रिक चेयर का भी उपयोग किया जा सकता है। याचिकाकर्ता ने बताया कि 1996 के अपने एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने शांति और सम्मान से मरने को भी जीवन के अधिकार का हिस्सा माना था।

याचिकाकर्ता की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल को जवाब दाखिल करने के निर्देश तो दे दिए लेकिन इसके साथ ही यह संभावना भी जताई जा रही है कि केंद्र द्वारा जवाब दाखिल किए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट इस मसले पर मंथन के लिए अपनी एक कमेटी भी गठित कर सकता है।

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