नई दिल्ली – सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में जाति आधारित गणना को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार करते हुए याचिकाकर्ता को पटना हाईकोर्ट जाने को कहा है. बिहार सरकार ने 7 जनवरी को जाति आधारित गणना की शुरुआत की थी. इसके तहत योजना बनाई गई थी कि हर परिवार का डेटा मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए इकट्ठा किया जाएगा. इस डेटा को सर्वे में शामिल किया जाएगा. यह सर्वे पंचायत से लेकर जिला लेवल तक किया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने जाति आधारित गणना को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया, लेकिन पटना हाईकोर्ट को याचिका पर तीन दिनों में फैसला करने को कहा है. शीर्ष अदालत ने कहा कि वो मेरिट पर कुछ नहीं कह रहा है. लेकिन हाईकोर्ट को गणना पर अंतरिम रोक की याचिकाकर्ता की मांग पर जल्द फैसला देना चाहिए. बिहार में जाति आधारित गणना का पहला दौर 7 जनवरी से 21 जनवरी के बीच आयोजित किया गया था. दूसरा दौर 15 अप्रैल को शुरू हुआ और 15 मई तक चलेगा. पहला दौर 7 जनवरी से 21 जनवरी के बीच आयोजित किया गया था. दूसरा दौर 15 अप्रैल को शुरू हुआ और 15 मई तक चलेगा.
‘यूथ फॉर इक्वेलिटी’ की याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा, “सरकार इतनी जल्दबाजी क्यों कर रही है. वहां बहुत जातिवाद है. हर क्षेत्र में जातिवाद है. नौकरशाही, राजनीति, सेवा…” याचिकाकर्ता की ओर से मुकुल रोहतगी ने कहा था कि चुनाव करीब होने की वजह से तेजी से गणना की जा रही है.
अदालत ने कहा- “यह तर्क दिया गया है कि अगर जल्द सुनवाई नहीं हुई, तो याचिकाएं निष्प्रभावी हो सकती हैं. वर्तमान याचिका पर विचार नहीं करते हुए, हम याचिकाकर्ताओं को अंतरिम राहत पर जल्द सुनवाई के लिए आवेदन करने की अनुमति देते हैं. हमने गुण-दोष के आधार पर कुछ नहीं कहा है और इस पर हाईकोर्ट को फैसला करना है.”
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