May 18, 2024

मोक्षदायिनी शिप्रा नदी में एक बार फिर नालों का गंदा पानी सीधे जाकर मिला

सुनहरी घाट, चक्रतीर्थ घाट और उससे आगे के घाटों पर गंदगी, बदबू फैली

उज्जैन – मोक्षदायिनी शिप्रा नदी में शनिवार को एक बार फिर नालों का गंदा पानी सीधे जाकर मिला। इससे सुनहरी घाट, चक्रतीर्थ घाट और उससे आगे के घाटों पर गंदगी, बदबू फैल गई। नजारा देख श्रद्धालुओं की आस्था आहत हुई। स्नान करने आए लोग लौट गए। मालूम हो कि इसके पहले भी कई मर्तबा नालों का दूषित पानी सीधे शिप्रा में मिलता रहा है। कारण, नालों की सफाई ठीक से न होने से चेंबर जाम होकर ओव्हरफ्लो होना रहा है।

21 मई को भी नदी में मिला था गंदा पानी

महीनेभर पहले 21 मई को बैगमबाग क्षेत्र के नालों का सीवेज युक्त हजारों गैलन पानी सीधे शिप्रा में जा मिला था। तब हुई इस गलती के लिए नगर निगम आयुक्त और स्मार्ट सिटी कंपनी के कार्यकारी निदेशक रोशन कुमार सिंह ने किसी स्थायी (परमानेंट) अधिकारी को जिम्मेदार न मानकर संविदा पर नियुक्ति कार्यपालन यंत्री मनीष जैन की सेवा समाप्त कर नौकरी से हटा दिया है।

सीएम शिवराज से की थी शिकायत

कार्रवाई तीन सदस्यीय जांच कमेटी की रिपोर्ट पर की थी। कमेटी ने जिम्मेदार स्थायीकर्मी सीईओ आशीष पाठक और अधीक्षण यंत्री नीरज पांडेय को क्लीन चीट दे दी थी। इस कार्रवाई से महापौर मुकेश टटवाल पूरी तरह असंतुष्ट थे। उन्होंने इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से शिकायत तक की थी। सबसे खास बात जिस कार्यपालन यंत्री को नौकरी से हटाया था, उन्हें घटना से जुड़े कार्य के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।

दो सप्ताह पहले आयुक्त ने शिप्रा शुद्धीकरण पर विशेष ध्यान देने के दिए थे निर्देश

दो सप्ताह पहले नगर निगम आयुक्त रोशन कुमार सिंह ने शिप्रा शुद्धिकरण के संबंध में आवश्यक बैठक की थी। निगम और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया था कि मानसून आने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि शिप्रा में कहीं से भी किसी भी स्तर पर गंदा पानी ना मिलने पाए। शिप्रा की ओर जाने वाले तथा आसपास के नाले नालियों की सफाई का विशेष ध्यान रखें। नालों का पानी शिप्रा में मिलने से रोकने को जो प्रबंध आवश्यक हैं, तत्काल करें।

सीवेज की 8 किलोमीटर लंबी लाइन नहीं संभल रही, पूरे शहर का नेटवर्क कैसे संभालेंगे

दो दशक पहले नगर निगम ने शहर के नालों का पानी पाइपलाइन के जरिये सदावल ट्रीटमेंट प्लांट पहुंचाने को 8 किलोमीटर लंबी 750 एमएम की पाइपलाइन बिछाई थी। तब पाइपलाइन बिछाने और सदावल में ट्रीटमेंट प्लांट बनाने पर साढ़े चार करोड़ रुपये खर्च हुए थे। इस पाइपलाइन से जुड़े नाले के चेंबर में साल में कई मर्तबा ओव्हर फ्लो होते रहे हैं। रामघाट से जुड़े पंडे-पुजारियों का कहना है कि हर महीने, दो महीने में शिप्रा में नालों का सीधे पानी मिलने की घटना देखते-रहते हैं। स्थानीय प्रशासन से सीवेज की 8 किलोमीटर पाइपलाइन नहीं संभल रही, पूरे शहर का सीवरेज पाइपलाइन नेटवर्क कैसे संभलेगी।

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