May 18, 2024

सीधी में हुई अमानवीय घटना में झूठी हमदर्दी भरे इवेंट कर डैमेज कंट्रोल कर घटना पर पर्दा डालने में जुटी शिवराज सरकार

दशमत की पत्नी ने पतिधर्म निभाते हुये मुख्यमंत्री द्वारा दिये जाने वाले राशि को ठुकराया

भोपाल – प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष के.के. मिश्रा और मप्र कांग्रेस आदिवासी विभाग के अध्यक्ष रामू टेकाम ने आज प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से चर्चा करते हुये कहा कि मप्र में शिवराज सिंह चौहान सरकार ने अनुसूचित जाति थानों के लिए कोई बजट स्वीकृत नहीं किया है। इस संबंध में मंत्रिपरिषद से निर्णय कराने के लिए पुलिस मुख्यालय, मप्र ने 30 मार्च, 2023 को प्रस्ताव भेजा था, जो अब तक स्वीकृत नहीं हुआ है। योजना के अंतर्गत बजट व्यय की स्वीकृति प्राप्त नहीं होने से अनुसूचित जाति थानों में होने वाले कार्यालयीन व्यय, गोपनीय सेवा कार्य, अनुसूचित जाति थानों के निर्माण, वाहनों की प्रतिस्थापन, बिजली जल प्रभार प्रशिक्षण, मरम्मत कार्य, पीओएल के अभाव में पेट्रोलिंग आदि समस्त कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
नेताद्वय ने कहा कि बजट न मिलने के कारण अजाक थानों में रोजमर्रा का काम नहीं हो पा रहा है। अनुसूचित जाति और जनजाति के लोग समाज में आर्थिक रूप से सबसे कमजोर हैं, ऐसे में वे थाने में अपनी फरियाद तक नहीं कर पाते हैं। इन थानों का बजट रोककर शिवराज सरकार ने आदिवासियों पर अत्याचार का अभियान छेड़ दिया है और भाजपा के नेता दलित और आदिवासियों पर खुलकर सरेआम अत्याचार कर रहे हैं।
सीधी में आदिवासी युवक पर पेशाब किये जाने की हुई अमानवीय घटना पर पर्दा डालने के लिए शिवराज सरकार झूठी हमदर्दी भरे इवेंट के जरिए डैमेज कंट्रोल करने इस हद तक नीचे गिर जाएगी यह हमने सोचा भी नहीं था।
नेताद्वय ने कहा कि पुलिस ने आरोपी भाजपा नेता प्रवेश शुक्ला को गिरफ्तार करने के पहले आदिवासी भाई दशमत को कस्टडी में ले लिया था, पीड़ित के परिवारजनों को मिलने तक नहीं दिया गया। लगभग 48 घंटे तक पीड़ित की पत्नी सहित परिवारजनों को यह पता नहीं था कि आखिर पीड़ित है कहां?
जब कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता अजय सिंह एवं पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल धरने पर बैठे तब कहीं जाकर उनकी पत्नी की बात पीड़ित से कराई गई, 2 दिन तक वह बहन भूखी प्यासी अपने पति के आने का इंतजार कर रही थी, रो-रो कर उस बहन का बुरा हाल था, क्योंकि दशमत भाई परिवार में अकेले कमाने वाले व्यक्ति हैं, उन्हें इस प्रकार से अपने राजनैतिक पापों को धोने के लिए जबरदस्ती भोपाल उठाकर ले जाना और पत्नी बच्चों और बूढ़े पिता से दूर करना क्या यह राजनीतिक अपहरण नहीं है?
कांग्रेस पार्टी, मुख्यमंत्री जी से पूछना चाहती है कि आपने भोपाल में अपने वक्तव्य में पीड़ित भाई दशमत को सुदामा कहा है, क्या मुख्यमंत्री जी बता सकते हैं कि सुदामा जी का क्या इसी प्रकार का राजनीतिक अपहरण किया गया था? क्या सुदामा जी को उनके परिवारजनों से दूर किया गया था?
मध्यप्रदेश के आदिवासी समाज की उस सम्मानित बहन को कांग्रेस पार्टी सेल्यूट करती है, जिसने अपना पतिव्रता धर्म निभाते हुए मुख्यमंत्री जी द्वारा दिए जाने वाली राशि, लालच को अस्वीकार करते हुए यह स्पष्ट कह दिया कि हमें पैसा नहीं चाहिए, हमें पहले हमारा आदमी चाहिए।
भाई दशमत के परिवार को अब तक यह पता नहीं था कि दशमत को भोपाल लाया जा रहा है, क्या एक पीड़ित को बिना उसके परिवार को सूचना दिए भोपाल तक लेकर आना यह कानूनी तौर पर उचित है? कांग्रेस पार्टी मांग करती है कि जिन पुलिस अधिकारियों ने पीड़ित को अपने परिवार से दूर रखा, उन पर आपराधिक प्रकरण दर्ज हो।
नेमावर की बेटियां हों, सिवनी का जघन्य हत्य, मंडला, छिंदवाड़ा आदि की जघन्य घटनाओं और प्रदेश में भाजपा के 18 साल के कुशासन में आदिवासियों पर अत्याचार के 30,400 मामले सामने आए, लेकिन किसी के परिजनो को अब तक मुख्यमंत्री निवास बुलवाकर पैर नही धोए, क्योंकि शायद उन घटनाओं के वक्त चुनाव नहीं थे?

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