निरक्षरता, खराब स्वास्थ्य, लैंगिक असमानता से विकास धीमा
कोलकाता – नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने कहा है कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश का नागरिक होने पर बहुत गर्व है, लेकिन देश के डेमोक्रेटिक नेचर को बढ़ाने के लिए और अधिक मेहनत करने की जरूरत है।
सेन ने कहा कि भारत का शासक वर्ग अमीरों के हितों का ख्याल रखता है। देश में निरक्षरता, खराब स्वास्थ्य व्यवस्था और असाधारण लैंगिक असमानता के कारण गरीबों का प्रगति करना मुश्किल हो गया है।
विपक्ष दावा करता है कि बीजेपी सत्ता में वापसी करती है तो संविधान को बदल सकती है। इस पर सेन ने कहा कि संविधान को बदलना सरकार का विशेष धर्म पर अधिक फोकस से जोड़ा जा सकता है, लेकिन इसका भारत के आम लोगों को कोई फायदा नहीं होगा।
बीजेपी के अयोध्या राम मंदिर, CAA के जरिए चुनाव में ज्यादा सीट हासिल करने के सवाल पर सेन ने कहा कि ऐसा विचार करना विश्वासघात है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष संविधान वाला एक धर्मनिरपेक्ष देश है, लेकिन केवल हिंदू पर फोकस करना बहुसंख्यक हिंदुओं के लिए आसान हो सकता है, लेकिन यह भारत की धर्मनिरपेक्ष जड़ों और बहु सांस्कृतिक प्रकृति को धोखा देता है।
लोकसभा चुनावों पर सेन ने कहा कि उन्हें भारत जैसे लोकतांत्रिक देश का नागरिक होने पर बहुत गर्व है। हमें देश की लोकतांत्रिक प्रकृति को बढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए।
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