May 2, 2024

जीतू पटवारी बोले- छिंदवाड़ा में भाजपा धमका रही

अमित शाह रात रुकते हैं, कई मंत्री डेरा डाले हैं; उनके तांडव का फायदा कांग्रेस को होगा

भोपाल – मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी। विधानसभा चुनाव हारने के बाद पहली बार पटवारी के नेतृत्व में पार्टी मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव लड़ रही है। इधर, चुनाव के बीच कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने वालों का सिलसिला भी नहीं थम रहा। इस भागदौड़ और दलबदल के बीच पटवारी ने दैनिक भास्कर से बात की। इस दौरान उन्होंने पार्टी नेताओं में तालमेल, दलबदल समेत तमाम मुद्दों पर चर्चा की। पढ़िए, बातचीत के अंश…

Q. अध्यक्ष बनने के बाद आपके नेतृत्व में पहला चुनाव है। कुछ सीट पर टिकट वितरण में देरी हुई। क्या चयन को लेकर नेताओं के बीच असहमतियां थीं?
जीतू पटवारी- हमने रणनीतिक रूप से अलग-अलग वक्त पर टिकट घोषित किए हैं। जिन सीट पर टिकट देर से घोषित हुए, वहां बीएसपी भी एक फैक्टर है, इसलिए समीकरणों का भी ध्यान रखना था। मध्यप्रदेश कांग्रेस में ऐसा पहली बार हुआ है, जब सभी की सहमति से जो बेस्ट कैंडिडेट हो सकता था, उसी को टिकट दिया गया है। किसी की भी पसंद या नापसंद नहीं चली है। तालमेल में कमी नहीं है। पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए मुझे भी योग्यता प्रमाणित करनी पड़ेगी।

Q. भिंड से पूर्व लोकसभा प्रत्याशी देवाशीष जरारिया कांग्रेस छोड़ बसपा से लड़ रहे हैं?
जीतू पटवारी- देवाशीष के निर्णय से दु:ख हुआ है। एक भी कार्यकर्ता पार्टी छोड़ता है, तो मेरी जिम्मेदारी है कि उसे रोका जाए। उसकी समस्या दूर की जाए। देवाशीष जरारिया से मेरी ग्वालियर में लंबी बातचीत हुई है। उन्हें समझाया भी था। वे काफी ऊर्जावान और दलित नेता हैं।

Q. बड़ी संख्या में लोग कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जा रहे हैं? ऐसा क्यों?
जीतू पटवारी- डरे हुए और लालच से भरे लोगों का विपक्ष में कोई काम नहीं है। वे जनहित में विपक्ष की भूमिका निभा ही नहीं सकते। सत्ता का साथ ऐसे लोगों को मुबारक हो। तीन तरह के लोग पार्टी छोड़कर गए हैं- पहले जिन्हें कारोबार चलाने के लिए सरकार का संरक्षण चाहिए था, जिनका रेत, क्रेशर, रॉयल्टी, शराब, परिवहन का कारोबार था। दूसरे- ऐसे लोग गए, जो सरकारी तंत्र से डरे हुए थे। किसी ऐसे पद पर थे, जैसे जिला पंचायत, जनपद पंचायत, नगर परिषद, नगर पंचायत में अध्यक्ष-उपाध्यक्ष, वे अविश्वास प्रस्ताव की धमकी से डरकर छोड़ गए। तीसरे- वे लोग छोड़कर गए हैं, जिन्हें विधानसभा चुनाव में अनुशासनहीनता या पार्टी में गड़बड़ी के कारण पहले ही पार्टी से बाहर कर दिया था। अब ऐसे लोगों के लिए कांग्रेस पार्टी में जगह नहीं है।

Q. कमलनाथ, दिग्विजय समेत पार्टी के बड़े नेता अपनी सीट पर ही ध्यान दे रहे हैं?
जीतू पटवारी- पहले चरण में छिंदवाड़ा में चुनाव है। भाजपा की हठधर्मिता वहां जगजाहिर है। मुख्यमंत्री हर दो दिन बाद वहां जा रहे हैं। केंद्रीय गृहमंत्री पूरी रात रुकते हैं। कई मंत्री डेरा डाले हैं। कांग्रेस विधायकों को परेशान किया जा रहा है। हमारा एक विधायक इसलिए पार्टी छोड़कर गया, क्योंकि उसकी पत्नी पर FIR थी। यह लोकतांत्रिक तांडव है। ऐसे में कमलनाथ जी का वहां रुकना स्वाभाविक है।

मैं वहां नकुलनाथ का फॉर्म भरवाने गया था, वहां परिस्थिति देखकर आया हूं। हम छिंदवाड़ा जीतेंगे। फिलहाज पहले फेज पर फोकस था। सभी 6 लोकसभा सीट की 30 विधानसभा क्षेत्रों पर दौरा कर चुके हैं।

Q. छिंदवाड़ा में भाजपा इतना जोर लगा रही है, तो कांग्रेस का बड़ा नेता क्यों प्रचार के लिए नहीं आया?
जीतू पटवारी- यह हमारी रणनीति है कि हम इस चुनाव को स्थानीय स्तर पर ही लड़ेंगे। यदि हम चुनाव को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाएंगे, तो भाजपा की हठधर्मिता दूसरे स्तर पर चली जाएगी। कमलनाथ जी ने 45 साल छिंदवाड़ा को दिए हैं। वहां की जनता उनसे व्यक्तिगत जुड़ी है, इसलिए कांग्रेस के प्रचार का फोकस कमलनाथ जी से छिंदवाड़ा के जुड़ाव पर केंद्रित है। भाजपा के तांडव और हठधर्मिता का फायदा कांग्रेस को होगा। मेरा दावा है कि डेढ़ लाख से छिंदवाड़ा जीतेंगे।

Q. ज्यादातर लोग गांधी परिवार द्वारा राम मंदिर उद्घाटन का न्योता ठुकराने से आहत थे और कांग्रेस छोड़ने की एक वजह यह भी बताई?
जीतू पटवारी- जो लोग कह रहे हैं कि वे राम मंदिर के लिए गए, वे आज तक दर्शन करने नहीं गए। ऐसा ही था, तो भाजपा जॉइन करने के बाद अयोध्या रवाना हो जाते। जाने वाले लोग बिना बहाने के नहीं जा सकते थे, उन्हें मजबूरी छिपाने के लिए कारण तो बताना होगा। राम मंदिर के ताले कांग्रेस ने खुलवाए थे। पार्टी ने एक हजार बार कहा कि कोर्ट जो भी फैसला देगी, उसे मानेंगे।

जब कोर्ट ने फैसला दिया, तब भाजपा की सरकार थी, इसलिए मंदिर निर्माण का सौभाग्य उन्हें मिल गया। हम लोग दर्शन करने जाएंगे, मैं भी जाऊंगा। भाजपा सवाल करती है कि मंदिर के उद्घाटन में क्यों नहीं गए? जिस दिन वो बुला रहे थे, उस दिन मोदी जी का भाषण था। यदि देश के सर्वोच्च पद के व्यक्ति का भाषण होता, जैसे राष्ट्रपति या शंकराचार्य जाते, तो कांग्रेसी जरूर जाते। यह तो भाजपा का इवेंट था। सीएम डॉ. मोहन यादव और शिवराज जी भी तो नहीं गए।

Q. क्या प्रदेश कांग्रेस में नेताओं के बीच तालमेल की कमी है?
जीतू पटवारी- बिल्कुल भी नहीं। 3 दिसंबर को विधानसभा चुनाव के नतीजे आए थे। पार्टी की अप्रत्याशित हार हुई। 5 दिसंबर तारीख को मुझे पार्टी की जिम्मेदारी सौंपी गई। मैं ऐसा पहला अध्यक्ष होऊंगा, जिसे इन परिस्थितियों में जिम्मेदारी मिली। तब मैंने कहा था कि हमारा नेतृत्व सामूहिक है, सिर्फ पद मेरे पास है। मैं अकेला नेता नहीं हूं, सभी मिलकर पार्टी को आगे बढ़ाएंगे। पार्टी में हम की भावना से ही सर्वाइव किया जा सकता है। मैं की भावना से नहीं।

Q. कांग्रेस जाति जनगणना का वादा कर रही है। इससे सबसे ज्यादा फायदा OBC को होने का दावा है। इससे जातिवाद नहीं बढ़ेगा? जीतू पटवारी- राहुल गांधी कह चुके हैं कि जातिगत जनगणना की बात पॉलिटिकल नहीं है। हम कितनी भी समानता की बात करें, लेकिन देश आज भी जातिगत समीकरण से प्रभावित होता है। आरक्षण इसलिए ही दिया गया था कि समानता की भावना पैदा हो। आज आर्थिक संसाधन ही देश के 10% लोगों के पास चले गए, 90% लोगों के पास सिर्फ 10 फीसदी संसाधन हैं। यह आर्थिक अराजकता है। जातिगत जनगणना से आर्थिक गैर बराबरी, प्रशासनिक गैर बराबरी का पता कर, इसे समान रूप में बांटने की बात है। ऊंची जातियों की गरीबी मिटाने की भी बात इसमें है।

Q. पार्टी के और कौन से नेता चुनाव लड़ना चाहते थे, जिन्हें टिकट नहीं मिल सका?
जीतू पटवारी- अरुण यादव ने खुद आगे रहकर कहा कि मैं गुना से लड़ना चाहता हूं, लेकिन वहां पार्टी कार्यकर्ताओं की इच्छा स्थानीय को लड़ाने की थी, इसलिए बड़े नेता के बजाय स्थानीय को चुना। इसी तरह, खंडवा की बात आई, तो वहां जातिगत समीकरण पर चर्चा में सामने आया कि वहां तीन लाख से अधिक गुर्जर वोट हैं। इससे पहले, हमारा सांसद गुर्जर बन चुका है। अरुण यादव जी वहां से लड़ने के लिए भी सहमत थे, लेकिन पार्टी ने उनका मना किया। निर्णय लिया कि वहां से गुर्जर लड़े।

राजगढ़ से हमारे पास तीन दावेदार थे, लेकिन वहां तीन अलग-अलग समाज हैं, इसलिए तय किया कि जिसे सभी समाज साथ दे सकते हैं, उसे उतारा जाए। ऐसे नेता सिर्फ दिग्विजय सिंह थे, तो उन्हें लड़ाया। इस बार कांग्रेस के टिकट चयन में कोताही नहीं की है। सभी से बात कर पारदर्शिता से बेहतर को मौका दिया है।

About Author