सांवेर के रण में तुलसीराम सिलावट की इस बार अग्नि परीक्षा होनी है। अपने पूरे राजनीतिक जीवन में अब तक कांग्रेस का चोला ओढ़े सिलावट अब बीजेपी के नाम पर खुद के लिए जनता से वोट मांग रहे हैं। सांवेर से उनके सामने में पूर्व सांसद प्रेम चंद गुड्डू हैं। मुकाबला कांटे का होगा इसकी पूरी उम्मीद भी जताई जा रही है।
शिवराज सरकार में जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट प्रदेश की पूर्वर्ती कमल नाथ सरकार में स्वास्थ्य मंत्री थे। इंदौर में जन्मे तुलसीराम सिलावट ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत छात्र राजनीति से की थी। राजनीति विज्ञान में एमए की डिग्री प्राप्त तुलसीराम सिलावट ने पढ़ाई के साथ साथ ही राजनीति के क्षेत्र में कदम रख दिए थे। सिलावट 1977-78 एवं 1978-79 में शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय इंदौर के छात्र संघ अध्यक्ष रहे। सिलावट 1978-79 एवं 1980-81 में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर के छात्रसंघ अध्यक्ष भी रहे।
1982 में तुलसीराम सिलावट ने इंदौर से पार्षदी का चुनाव लड़ा। पार्षद बनने के बाद सिलावट की राजनीतिक गाडी चल पड़ी। 1985 में तुलसीराम सिलावट आठवीं विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए एवं संसदीय सचिव रहे। सिलावट 1995 में नेहरू युवा केन्द्र के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने। इसके बाद सिलावट वर्ष 1998 से 2003 में मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम के अध्यक्ष रहे। तुलसीराम सिलावट को कांग्रेस ने पार्टी के विभिन्न पदों पर दायित्व भी सौंपा था। सिलावट अखिल भारतीय कॉग्रेस कमेटी के सदस्य एवं प्रदेश कॉग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष भी रहे हैं।
तुलसीराम सिलावट दिसम्बर 2007 के उप चुनाव में बारहवीं विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए थे । वे वर्ष 2008 में तीसरी बार विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए। 2018 के विधानसभा निर्वाचन में सिलावट साँवेर (अजा) विधानसभा से चौथी बार विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए और इस दफा उन्हें कांग्रेस ने अपनी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बनाया। लेकिन सिंधिया के करीबी होने के नाते सिंधिया के साथ ही उन्होंने कांग्रेस को छोड़ दिया। सिलावट अब बीजेपी में हैं। और चुनाव जीतने की पुरज़ोर कोशिश भी कर रहे हैं।
जीवन भर कांग्रेस का चोला ओढ़ने वाले सिलावट से अब जब जनता कांग्रेस से बागी होने और उपचुनाव थोपने का सवाल करती है, तो सिलावट को जवाब देते नहीं बनता। इसके बावजूद सिलावट ने इस चुनाव में अपना सब कुछ झोंक दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो भले ही सांवेर में सिलावट के खिलाफ माहौल बना हुआ हो लेकिन बावजूद इसके सिलावट को कमतर नहीं आँका जा सकता। इसके पीछे वजह है सिलावट का खुद का कैडर। क्षेत्र में सिलावट के पास व्यक्तिगत स्तर पर भी जन समर्थन हासिल है। इसके पीछे की वजह है जनता के बीच सिलावट की साफ़ सुथरी छवि, जो कि कांग्रेस छोड़ बीजेपी में जाने के बाद धूमिल तो हुई है लेकिन पूरी तरह से ख़त्म नहीं हुई है।
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