युवाओं को आईटी, खाद्य प्रसंस्करण, पर्यटन एवं अन्य सेवा संक्टरों में स्वंय के स्टार्टअप करने के लिए तैयार किए गए रोडमेप के अनुसार क्रियान्वित सुनिश्चित करेंगे जिससे युवाओं को रोजगार मिले।
कमलनाथ की सरकार के बहुप्रतीक्षित स्टार्टअप कार्यक्रम का ऐलान किया गया था। इसे लेकर प्रदेश नहीं देश के संभावित युवा उद्यमियों में बड़ा कौतूहल था। खासतौर पर प्रदेश के करोड़ों बेरोजगार युवा बड़ी उम्मीद लगाए थे लेकिन छल-कपट से सरकार गिरायी गयी। हमारी सरकार ने नए उद्यमियों के सुभीते के लिए चार साल तक हर साल ढाई हजार करोड़ रुपए यानी दस हजार करोड़ का एक कोष बनाने का ऐलान किया था। इन उद्यमियों को कानूनी जटिलताओं से छुटकारा दिलाने का भी वायदा किया गया था। बेशक, हजारों नए उद्यमियों को इस तरह के ऐलान से राहत मिली होगी। उन्होंने अपनी-अपनी हैसियत के मुताबिक यह सोचना भी शुरू कर दिया होगा कि वे और क्या नया करें।
रोजगार मांगने की बजाए रोजगार देने वाले बनिए-
स्टार्टअप का ऐलान होते समय बेरोजगार युवाओं का जबर्दस्त हौसला बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने यही कही। उन्होंने युवा उद्यमियों को काम-धंधे के कुछ विशेष क्षेत्र भी सुझाए। मसलन शिक्षा, स्वास्थ्य, और हस्तशिल्प। इनोवेशन (नवोन्मेष) यानी नया अनोखा काम शुरू करने का सुझाव देते हुए साइबर सिक्योरिटी के लिए कुछ नया कर दिखाने की बात कही थी। मुख्यमंत्री ने दसियों लाख समस्याओं का जिक्र करते हुए युवाओं का हौसला यह कहते हुए बढ़ाया कि हमें एक खरब दिमाग भी तो मुहैया हैं। इस बात से यह मतलब लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ब्रेन स्टॉर्मिंग आयोजनों का भी सुझाव दे रहे थे। यानी विचार-विमर्श के ऐसे आयोजन खुद में एक उद्यम बन सकते हैं। जाहिर है कि बेरोजगारी जैसी पहाड़ सी समस्या के समाधान के लिए भी कोई इनोवेटिव आइडिया पैदा करने का आग्रह भी स्टार्टअप के दायरे में आ गया लगता है।
बिजनेस के बजाय सोशल ऑन्त्रेप्रनोर बनने का सुझाव-
फ्रांसीसी शब्द ऑन्त्रेप्रनोर व्यापार जगत में आजकल खूब चलन में है। प्रबंधन प्रौद्योगिकी के विशेषज्ञ इसमें दो प्रमुख बातों का होना बताते हैं। पहला किसी उद्यम का नया या नवोन्वेषी होना और दूसरा जोखिम उठाने या घाटा उठाने का हौसला होना। अपने भाषण में मुख्यमंत्री ने इस विशेष शब्द का कई बार जिक्र किया। व्यापार की बजाए उन्होंने सामाजिक उद्यमिता यानी सोशल ऑन्त्रेप्रनोरशिप पर जोर दिया। यह सुनकर एमबीए जैसे कोर्स करने वालों की यह दुविधा खत्म हुई होगी कि उन्हें सामाजिक उद्यमिता के बारे में क्यों पढ़ाया जाता है और उनके लिए सामाजिक क्षेत्र में उद्यम की कितनी गुंजाइश बन गई है। उन्हें भी बड़ी दिलासा मिली होगी जो सामाजिक कार्यों को अपना जॉब या रोजगार बनाने का इरादा रखते हैं। अब यह आगे देखने की बात होगी कि देश के युवा मुनाफा कमाने के लिए व्यापार या उद्योग के बजाए सामाजिक लाभ के उद्यम को कैसे ढूंढेगे। इस प्रकार के विचारों से कमलनाथ ने युवाओं को नहीं दृष्टि के साथ नया मार्ग दिया था। जिसे कुछ लोगों के लालच ने रोका है। पर दोबारा सत्ता में आते ही वह इस कार्य को पूरी ताकत से करने के लिए प्रतिबंध रहेंगे।
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